Class 10 Civics Chapter 3 Notes In Hindi | लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा 10 अध्याय 3 लोकतंत्र और विविधता

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Class 10 Civics Chapter 3 Notes In Hindi | लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा 10 अध्याय 3 लोकतंत्र और विविधता

कक्षा | Class10th
अध्याय | Chapter03
अध्याय का नाम | Chapter Nameलोकतंत्र और विविधता
बोर्ड | Boardसभी हिंदी बोर्ड
किताब | Book एनसीईआरटी | NCERT
विषय | Subjectलोकतांत्रिक राजनीति | Civics
मध्यम | Medium हिंदी | HINDI
अध्ययन सामग्री | Study Materialsप्रश्न उत्तर | Question answer

Class 10 Civics Chapter 3 Notes In Hindi | लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा 10 अध्याय 3 लोकतंत्र और विविधता

Class 10 Civics Chapter 3 Notes In Hindi
Class 10 Civics Chapter 1 Notes In Hindi

अति लघु उत्तरीय प्रश्न | Very short answer type question

1 अश्वेत अमेरिकी लोग कौन हैं ?

उत्तर-वे लोग जो अफ्रीका से लाए गए दासों की संतान हैं और अब अमेरिका में रह रहे हैं, उन्हें अश्वेत अमेरिकन कहा जाता है।

2 अश्वेत अमेरिकी लोगों ने नागरिक अधिकार आंदोलन क्यों चलाया ? 

उत्तर-क्योंकि वह चाहते थे कि नस्ल के आधार पर उनसे कोई भेदभाव न किया।

3 नागरिक अधिकार आंदोलन किस अश्वेत नेता की अगुवाई में चलाया गया ? 

उत्तर- मार्टिन लूथर किंग जूनियर की अगुवाई में ।

4 अमेरिका में यह नागरिक अधिकार आंदोलन कितने वर्ष तक चलता रहा ? 

उत्तर- यह कोई 14-15 वर्ष, 1954 से 1968 के मध्य चलता रहा।

5 अश्वेत शक्ति आंदोलन कब से कब तक चलता रहा ?

उत्तर- यह आंदोलन कोई 10 वर्ष तक 1966 से 1975 ई० तक चलता रहा। 

6 अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन क्यों चलाया गया और वह किन लोगों द्वारा चलाया गया ?

उत्तर-अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन (1954-1968 ) – घटनाओं और सुधार आंदोलनों का एक सिलसिला जिसका उद्देश्य एफ्रो-अमेरीकी लोगों के विरुद्ध होने वाले नस्ल आधारित भेदभाव को मिटाना था। मार्टिन लूथर किंग जूनियर की अगुवाई में लड़े गए इस आंदोलन का स्वरूप पूरी तरह अहिंसक था। इसने नस्ल के आधार पर भेदभाव करने वाले कानूनों और व्यवहार को समाप्त करने की माँग उठाई जो अंततः सफल हुई।

7 एफ्रो-अमेरीकी का तात्पर्य क्या है ?

एको अमेरीकी- एफ्रो-अमरीकन, अश्वेत अमरीकी या अश्वेत शब्द उन अफ्रीकी लोगों के वंशजों के लिए प्रयुक्त होता है जिन्हें 17 वीं सदी से लेकर 19वीं सदी की शुरुआत तक अमेरीका में गुलाम बनाकर लाया गया था।

8 अश्वेत शक्ति आंदोलन से क्या समझते हैं ? 

उत्तर- अश्वेत शक्ति आंदोलन 1966 में उभरा और 1975 तक चलता रहा। नस्लवाद को लकर इस आंदोलन का रवैया ज्यादा उग्र था। इसका मानना था कि अमेरीका के नस्लवाद मिटाने के लिए हिंसा का सहारा लेने में भी हर्ज नहीं है।

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लघु उत्तरीय प्रश्न | Short answer type questions

सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं ? 

(क) साधारणतः सामाजिक विभिन्नताएँ जन्म, रंग, लिंग, भाषाओं, धर्मो तथा सांस्कृतियों पर आधारित होती है।

(ख) जब एक सामाजिक अंतर, दूसरे अन्य अंतरों से ऊपर और बड़ा हो जाता है तो वह सामाजिक विभाजन का रूप ले लेता है। 

(ग) अमेरिका जैसे देश में काले तथा गोरे नागरिकों के बीच अनेक अंतर हैं जैसे काले लोग आमतौर पर गरीब हैं, बेघर हैं तथा सामाजिक उत्पीड़न के शिकार हैं।

(घ) इन सभी अंतरों में नस्लीय भेदभाव सबसे बड़ा अंतर है। अतः नस्लीय भेदभाव ने अमेरिका में सामाजिक विभाजन का रूप ले लिया।

(ड) जब एक तरह का सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाता है तथा लोगों को यह महसूस होने लगता है कि ये दूसरे समुदाय के हैं तो इससे एक सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है।

2 1968 में मैक्सिकों ओलम्पिक खेलों में कौन-सी घटना घटी ?

उत्तर- 1968 में मैक्सिकों में होने वाली ओलम्पिक खेलों में 200 मीटर की दौड़ में दो एफ्रो-अमेरिकी धावकों टामी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने क्रमशः स्वर्ण और कांस्य पदक जीते। परन्तु उन्होंने पदक समारोह में पदक लेते समय अमेरिका की रंगभेद की नीति का अपने ही ढंग से विरोध किया।

उन्होंने बिना जूते पहने हुए, सिर्फ मोजे चढ़ाए हुए पुरस्कार लेकर यह जताने का यत्न किया कि अश्वेत अमेरिकी लोग गरीब हैं। राष्ट्रगान बजते समय सिर झुकाए हुए और मुट्ठी ताने हुए खड़े रहने का तात्पर्य था कि वे असहाय हैं परन्तु वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

काले दस्ताने और बन्धी हुए मुट्ठियाँ अश्वेत शक्ति का प्रतीक थी। स्मिथ ने अपने गले में एक काला मफलर पहन रखा था और कार्लोस ने अपने गले में काले मनकों की माला पहनी हुई थी जो विरोध के साथ-साथ एफ्रो-अमेरिकन लोगों के आत्म गौरव को प्रदर्शित करते थे।

इन प्रतीकों और तौर-तरीकों से उन्होंने अमेरिका में होने वाले रंगभेद के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी का ध्यान खींचने का प्रयत्न किया।

3. क्या सभी सामाजिक अन्तर सामाजिक विभाजन में बदल जाते हैं ? 

उतर-नहीं, हर एक सामाजिक अन्तर सामाजिक विभाजन में तबदील नहीं होता। जैसे एक ही राजनीतिक दल में विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग होते हैं परन्तु एक ही उद्देश्यों या नीतियों से प्रेरित होकर वे एक साथ मिलकर रहते हैं और इकट्ठे मिलकर खाते-पीते हैं एक साथ यात्रा करते हैं।

परन्तु यदि एक ही पार्टी के सदस्य अन्दर ही अन्दर एक दूसरे की बात काटने लगें, एक-दूसरे के हितों को ठेस पहुँचाना शुरू कर दें, चुनावों में अन्दर ही अन्दर से दूसरी पार्टी के उम्मीदवारों की सहायता करने लगें तो ऐसे में सामाजिक अन्तर सामाजिक विभाजन में बदल जाते हैं।

सद-व्यवहार, सह-विचार, ईमानदारी और वफादारी से कई बार सामाजिक विभाजन भी भाईचारे और प्रेम में बदल जाते हैं। स्मिथ और कार्लोस एफ्रो-अमेरिका के रहने वाले थे और उधर नार्मन श्वेत जाति से थे और रहने वाले भी वह किसी अन्य देश आस्ट्रेलिया के थे परन्तु फिर भी उसने अश्वेत लोगों का साथ दिया क्योंकि उनके साथ अन्याय हो रहा था।

इस प्रकार सामाजिक अन्तर तो हर समाज में रहेंगे परन्तु हमें अपनी मूर्खता कठोरता, अन्यायपूर्ण व्यवहार से उन्हें सामाजिक विभाजन में बदल नहीं लेना चाहिए। 

4 “हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती।” एक उदाहरण लिखें।

उत्तर- हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती। सामाजिक विभिन्नताएँ लोगों के बीच बँटवारे का एक बड़ा कारण होती जरूर है लेकिन

यही विभिन्नताएँ कई बार अलग-अलग तरह के लोगों के बीच पुल का काम भी करती है। विभिन्न सामाजिक समूहों के लोग अपने समूहों की सीमाओं से परे भी समानताओं का अनुभव करते हैं।

उदाहरण- 1968 ई० के मैक्सिको ओलंपिक में जब दो अश्वेत खिलाड़ियों ने रंगभेद के खिलाफ असंतोष व्यक्त किया तो एक गैर-अश्वेत खिलाड़ी नार्मन ने भी उनका साथ दिया। इस प्रकार हम देखते हैं कि सामाजिक भिन्नता के बावजूद अश्वेत और गैर-अश्वेत दोनों ने रंगभेद की नीति का विरोध किया । यहाँ सामाजिक भिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं ले सकी।

5 जहाँ सामाजिक अंतर एक-दूसरे से टकराते हैं, वहाँ सामाजिक विभाजन होता है। व्याख्या करें। 

उत्तर- (क) सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजन को जन्म देता है परन्तु यह आवश्यक

नहीं कि प्रत्येक सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजन का अंतर बने। (ख) सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर तथा बड़ी हो जाए।

(ग) भारत में दलित गरीब और भूमिहीन हैं. उन्हें अक्सर भेदभाव और अन्याय का शिकार होना पड़ता है। उन्हें लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तथा उनके एवं शेष समाज के बीच बड़ा सामाजिक अंतर है।

(घ) जब लोगों का यह महसूस होने लगता है कि ये दूसरे समुदाय के हैं तथा दूसरे समूह से टकराव की स्थिति आ जाती है तो यही सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजन का रूप ले लेता है।

5 सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में सामाजिक विभाजन होते हैं। व्याख्या करें। 

उत्तर- (क) भारतीय समाज समरूप समाज नहीं है अर्थात् समाज में विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं आदि के लोगों का अस्तित्व है।

(ख) प्रत्येक समाज में सामाजिक विविधता पाई जाती है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि प्रत्येक सामाजिक विविधता, सामाजिक विभाजन का कारण बने। 

(ग) विश्व के अधिकतर समाजों में सामाजिक विभाजन देखने को मिलता है, देश बड़ा हो या छोटा इससे खास फर्क नहीं पड़ता।

(घ) छोटे-बड़े किसी भी देश में, जहाँ धार्मिक विविधता सांस्कृतिक विविधता, भाषाई विविधता आदि का अस्तित्व हो वहाँ अगर इन विविधताओं को युक्तिपरक तरीके ने नहीं संभाला जाता है तो सामाजिक विभाजन की संभावना प्रबल होती है।



दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | Long answer type questions

1 सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें। 

उत्तर-सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारक निम्नांकित हैं- 

(क) लोग अपनी पहचान को किस प्रकार देखते हैं- सर्वप्रथम सभी परिणाम इस बात पर निर्भर करते हैं कि लोग किस तरह से उनकी पहचान को स्वीकार करते हैं। अगर लोग उनकी पहचान को एक तथा विशेष समझते हैं तो समायोजन कठिन होगा। जब तक आयरलैंड के लोग स्वयं को केवल कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट समझते रहे, तब तक उनके मतभेदों का हल निकालना कठिन था। 

यह आसान है कि यदि लोग समझते हैं कि उनकी पहचान बहुमुखी है तथा राष्ट्रीय पहचान की पूरक है। बेल्जियम के अधिकांश लोग डच या जर्मन भाषा बोलने वाले हैं। इससे उन्हें साथ-साथ रहने में मदद मिलती है। हमारे देश के लोग किस तरह से अपनी पहचान देखते हैं ? वे सब अपने आपको भारतीय समझते हैं जो एक राज्य या एक भाषा समूह या सामाजिक या धार्मिक समुदाय से जुड़े हुए हैं।

(ख) राजनैतिक दलों की भूमिका यह निर्भर करता है कि राजनैतिक दल के नेता किस ढंग से किसी समुदाय की मांगे उठाते हैं। उन मांगों को माना आसान है जो संवैधानिक दायरे में आती हैं तथा जो दूसरे समुदाय के दन पर नहीं हैं। सिंहली लोगों के लिए की गई मांग तमिल समुदाय के हितों के बदले है, जो श्रीलंका में रहती है। यूगोस्लाविया में विभिन्न नस्लवादी समुदायों के नेताओं ने इस ढंग से अपनी मांगें रखी कि इनको किसी भी एक देश में समायोजित नहीं किया जा सकता था। 

(ग) सरकार का रवैया- यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार विभिन्न समुदायों की मांगों पर किस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करती है ? जैसा कि हमने श्रीलंका और बेल्जियम के उदाहरणों में देखा, यदि प्रशासक सत्ता में सहभागिता चाहते हैं तथा अल्पसंख्यक समुदाय की जायज माँगें मान लेती है, तो सामाजिक बँटवारा देश के लिए कम खतरनाक हो सकता है। परंतु यदि इस तरह की मांग को देश की एकता के नाम पर कुचलती है, तो परिणाम उल्टा हो सकता है। इस तरह जबरदस्ती थोपी गई राष्ट्रीय एकता अक्सर बिखराव के बीज बोती है।

2 सामाजिक विभाजन किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं ? दो उदाहरण भी दें। 

उत्तर – (क) सामाजिक विभाजन हर छोटे-बड़े देश में विद्यमान हैं। हर राजनीतिक दल ने क्योंकि चुनाव जीतने होते हैं तो वे किसी न किसी सामाजिक विभाजन को साथ लेने का प्रयत्न करते हैं।

(ख) सामाजिक विभाजन, समाज में भेदभाव की भावना को प्रोत्साहन देता है जिससे राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को खतरा पहुँचता है। 

(ग) सामाजिक विभाजन राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देता है। 

(घ) अधिकतर देशों में मतदान का स्वरूप सामाजिक विभाजन के द्वारा निर्धारित होता है क्योंकि प्रत्येक सामाजिक समूह का झुकाव एक विशेष राजनीतिक

दल की तरफ होता है।

उदाहरण

(i) उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक तथा प्रोटेस्टेंट समुदाय में चले भीषण संघर्ष के कारण वहाँ राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हुई।

(ii) यूगोस्लाविया में धार्मिक और जातीय आधार पर हुए राजनीतिक होड़ में यूगोस्लाविया कई भागों में विभाजित हो गया। 

3.सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है।” व्याख्या करें।

उत्तर- सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है। सामान्य तौर पर अपना समुदाय चुनना हमारे वश में नहीं होता। हम सिर्फ इस आधार पर किसी खास समुदाय के सदस्य हो जाते हैं कि हमारा जन्म उस समुदाय के एक परिवार में हुआ होता है। जन्म पर आधारित सामाजिक विभाजन का अनुभव हम अपने दैनिक जीवन में लगभग रोज करते हैं हम अपने आसपास देखते हैं कि चाहे कोई स्त्री या पुरुष, लंबा हो या छोटा सबकी चमड़ी का रंग अलग-अलग है, उनकी शारीरिक क्षमताएँ या अक्षमताएँ अलग-अलग हैं। 

बहरहाल, सभी किस्म के सामाजिक विभाजन सिर्फ जन्म पर आधारित नहीं होते। कुछ चीजें हमारी पसंद या चुनाव के आधार पर भी तय होती है। कई लोग अपने माँ-बाप और परिवार से अलग अपनी पसंद का भी धर्म चुन लेते हैं। हम सभी लोग पढ़ाई के विषय, पेशे, खेल या सांस्कृतिक गतिविधियों का चुनाव अपनी पसंद से करते हैं। इन सबके आधार पर भी सामाजिक समूह बनते हैं और ये जन्म पर आधारित नहीं होते।

हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती। सामाजिक विभिन्नताएँ लोगों के बीच बँटवारे का एक बड़ा कारण होती जरूर हैं लेकिन यही विभिन्नताएँ कई बार अलग तरह के लोगों के बीच पुल का काम भी करती का है। विभिन्न सामाजिक समूहों के लोग अपने समूहों की सीमाओं से परे भी समानताओं और असमानताओं का अनुभव करते हैं। कार्लोस और स्मिथ तो एक हिसाब से समान थे (दोनो एफ्रो अमरीकी थे) जबकि नार्मन श्वेत थे। पर इन तीनों में एक समानता थी कि वे सभी नस्ल आधारित भेदभाव के खिलाफ थे।


FAQs

1.समरूप समाज का क्या अर्थ है ?

उत्तर-समरूप समाज- एक ऐसा समाज जिसमें सामुदायिक, सांस्कृतिक या जातीय विभिन्नताएँ ज्यादा गहरी नहीं होतीं। 

2.1968 के मेक्सिको ओलंपिक में एफ्रो-अमेरिकन खिलाड़ियों ने अपना विरोध कैसे प्रकट किया ?

उत्तर- टामी स्मिथ और जॉन कार्लोस नामक दो एफ्रो-अमेरिकी खिलाड़ियों ने अमेरिका की रंगभेद की नीति के विरोध में बिना जूता पहने, सिर्फ मोजे चढ़ाए पुरस्कार लेकर यह बताने का प्रयत्न किया कि वे गरीब हैं और रंगभेद की नीति का शिकार हैं।

3.मार्टिन लूथर किंग जूनियर कौन थे और उन्होंने एको-अमेरिकन लोगों के लिए क्या किया ? 

उत्तर- मार्टिन लूथर किंग जूनियर (1929-1968) एफ्रो अमेरिकन लोगों के महान नेता थे जिन्होंने अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन चलाकर अमेरिका की सरकार को मजबूर कर दिया कि वह एफ्रो अमेरिकन लोगों के लिए 1964 में सिविल राइट्स एक्ट और 1965 में वोटिंग राइट्स एक्ट पास करे।

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