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Ncert Class 10 History Chapter 3 Question Answer in Hindi | कक्षा 10वीं अध्याय 3 भारत में राष्ट्रवाद प्रश्न उत्तर
कक्षा | Class | 10th |
अध्याय | Chapter | 03 |
अध्याय का नाम | Chapter Name | भारत में राष्ट्रवाद |
बोर्ड | Board | सभी हिंदी बोर्ड |
किताब | Book | एनसीईआरटी | NCERT |
विषय | Subject | इतिहास | History |
मध्यम | Medium | हिंदी | HINDI |
अध्ययन सामग्री | Study Materials | प्रश्न उत्तर | Question answer |
महत्वपूर्ण खोजशब्द | Important keywords
एकतरफा अनुबंध व्यवस्था : वियतनाम के बागानों में इस प्रकार की मजदूरी व्यवस्था काफी प्रचलित थी। इस व्यवस्था में मजदूर ऐसे अनुबंधों के तहत काम करते थे जिनमें मजदूरों को कोई विशेष अधिकार नहीं दिए जाते थे जबकि मालिकों को बेहिसाव अधिकार मिलते थे। यदि मजदूर अनुबंध की शर्तों के तहत अपना काम पूरा न कर पाएँ तो मालिक उनके खिलाफ मुकदमें दायर कर देते थे, उन्हें सजा देते थे, जेलों में डाल देते थे।
समन्वयवाद ऐसा विश्वास जिसमें भिन्नताओं की बजाय समानताओं पर ध्यान देते हुए भिन्न-भिन्न मान्यताओं तथा आचारों को एक-दूसरे के साथ लाने का प्रयास किया जाता है। यातना शिविर एक प्रकार की जेल जिसमें कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही लोगों को कैद में डाल दिया जाता है। इस शब्द को सुन कर निर्मम अत्याचार और गहन बातना की तसवीरें मन में कौंध जाती हैं।
गणतंत्र आम जनता के जनप्रतिनिधित्व और सहमति पर आधारित शासन व्यवस्था राजशाही के विपरीत ऐसी सरकार लोगों की सत्ता (लोकशाही) पर आधारित होती है।
नापाम: अग्नि बमों के लिए गैसोलीन को फलाने में प्रयोग होने वाला एक ऑर्गेनिक कंपाउंड। यह मिश्रण धीमी गति से जलता है और मानव त्वचा जैसी किसी भी सतह के संपर्क में आने पर उससे चिपक जाता है और जलता रहता है। अमेरिका में विकसित किए गए इस रसायन का दूसरे विश्व युद्ध में प्रयोग किया गया था। अत्यधिक अंतर्राष्ट्रीय विरोध के बावजूद भी इसका वियतनाम में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न | Very short answer type question
1 ‘स्वराज’ से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-स्वराज का तात्पर्य ऐसी शासन व्यवस्था से है जैसा कि स्वशासी ब्रिटिश उपनिवेशों में स्थापित है। साधारण भाषा में इसका अर्थ है ‘स्वराज’ ।
2 चौरी-चौरा कांड क्या है ?
उत्तर-यह एक स्थान है जहाँ 1922 ई० में सरकार के विरुद्ध सभा हो रही थी। छेड़खानी की कोई बात न होने पर भी पुलिस ने गोलियाँ चला दी। गुस्से में लोगों ने पुलिस स्टेशन में आग लगा दी जिससे 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। गाँधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया।
3 पिकेटिंग से क्या समझते हैं ?
उत्तर-प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।
4 नेहरू रिपोर्ट क्या है ?
उत्तर-नेहरू रिपोर्ट 10 अगस्त, 1928 को प्रस्तुत की गई। इसने भारत को एक राष्ट्र का दर्जा देने, संसदीय प्रणाली का गठन करने तथा मूल अधिकारों पर जोर दिया ।
5 सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया गया ?
उत्तर- भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तथा भारत भूमि को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा सन् 1930 ई० में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया।
6 बहिष्कार के विचार का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- बहिष्कार विरोध का एक गाँधीवादी रूप है। बहिष्कार का अर्थ है- किसी के साथ संपर्क रखने और जुड़ने से इंकार करना, गतिविधियों में हिस्सेदारी से स्वयं को अलग रखना तथा उसकी चीजों को खरीदने तथा इस्तेमाल करने से इंकार करना।
7 पूर्ण स्वतंत्रता की मांग किसने की ?
उत्तर-भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (1929) का विशेष महत्व है। 31 दिसंबर 1929 को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पास हुआ। इस अधिवेशन के अध्यक्ष पं० जवाहर लाल नेहरू थे।
8 असहयोग आंदोलन कब से कब तक चलता रहा ?
उत्तर- 1920 से 1922 तक ।
class 10th Notes | MCQ |
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History | Political Science |
English | Hindi |
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लघु उत्तरीय प्रश्न | Short answer type question
1.भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ? कोई चार कारण दें।
उत्तर-उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई थी। उपनिवेशों में राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना विकसित हुई।
(क) 1600 ई० में लंदन में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी 1765 do में बंगाल, बिहार, उड़ीसा पर कंपनी का अधिकार हो गया। भारत मे उपनिवेश की स्थापना और फिर भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के स्थापित होने से राष्ट्रवाद का विकास हुआ। 1857-58 में राष्ट्रवादी शक्तियों ने अंग्रे का विरोध किया। उनका यह प्रयास असफल रहा लेकिन लंबे संघर्ष के बाद 1947 में आजादी मिली।
(ख) औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध संघर्ष के दौरान लोगों ने आपसी एकता करे पहचाना। एकजुट होकर वे विदेशी लोगों को अपने देश से निकाल सकते हैं। (ग) उपनिवेशों के अंतर्गत उत्पीड़न और दमन के कारण विभिन्न समूहों को संगठित होना पड़ा और उपनिवेश विरोधी आंदोलन चलाया जाने लगा।
(घ) वियतनाम, चीन, वर्मा आदि देशों में उपनिवेशवाद का विरोध होता रहा। विश्व के अनेक एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश भी राष्ट्रवाद की भावनाओं से प्रेरित थे। इसलिए उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष और आंदोलन के साथ जुड़े हुए थे।
2.पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ?
उत्तर- (क) प्रथम विश्व युद्ध में भारी संख्या में भारतीयों को सेना में भर्ती किया गया।। यूरोपीय देशों के स्वतंत्र वातावरण और लोकतंत्रीय संगठनों का उन पर प्रभाव पड़ा। युद्ध के अनुभवों से उन्हें अपनी क्षमता पर विश्वास हुआ। अपने देश में भी लोकतंत्र की स्थापना कर सकते हैं। राजनीतिक जागृति और आत्मविश्वास की प्रबल भावना पहले विश्व युद्ध के बाद विकसित हुई।
(ख) युद्ध-व्यय की पूर्ति के लिए ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों पर अतिरिक्त कर भार आरोपित किए, जिसके परिणामस्वरूप उपनिवेशों में विकट आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति उत्पन्न हुई। सरकार की आर्थिक नीतियों से वस्तुओं की कीमतें अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई।
(ग) देश के कई भागों में फसलें नष्ट हो गई थीं जिसके परिणामस्वरू खाद्यान्नों की कमी हो गई तथा कई क्षेत्रों में अकाल पड़ गए। इसी बी फ्लू जैसी महामारी फैल गई जिससे भारी संख्या में लोग मारे गए।
(घ) अंग्रेजी सरकार ने भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 ई० में लागू किया। इसके बाद क्रांतिकार आंदोलन कम होने के बजाय और तेज हो गया।
उपर्युक्त परिस्थितियों के प्रति सरकार का रूप न सिर्फ उदासीन बल्कि असहयोगात्मक रहा जिसके परिणामस्वरूप लोगों में सरकार के प्रति असंतोष और विद्रोह का भाव पनपा तथा लोग राष्ट्रवादी आंदोलन के लिए मजबूर हुए।
3 भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे — अथवा, रॉलेट एक्ट क्या था ? गाँधीजी ने रॉलेट एक्ट का विरोध किस प्रकार किया ? वर्णन करें।
उत्तर-भारत में ब्रिटिश शासन के हो रहे प्रतिरोधों के खिलाफ ब्रिटेन के इम्पीरियल ‘लेजिस्लेटिव काउंसिल ने 1919 ई० में एक कानून परित किया। जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है।
(क) 1918 ई० में अंग्रेजी सरकार ने रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। इस समिति को यह निर्देश दिया गया कि भारत में क्रांतिकारी आंदोलनों को रोकने के लिए किस तरह के कानून बनाए जाएँ क्योंकि देश का कानून अपर्याप्त है।
(ख) इस कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया। इसी कारण भारतीयों ने रॉलेट एक्ट का विरोध किया।
(ग) गाँधीजी ने इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा करने की घोषणा की।
(घ) इस नागरिक अवज्ञा को 6 अप्रैल, 1919 से एक हड़ताल के साथ प्रारंभ होना निश्चित किया गया।
(ङ) रॉलेट एक्ट के खिलाफ विभिन्न शहरों में रैलियों एवं जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे कामगार हड़ताल पर चले गए। दुकानें स्वतः बंद हो गई। टेलीग्राफ सेवा बाधित कर दी गई। इस प्रकार देश में अव्यवस्था का आलम फैल गया।
(च) 10 अप्रैल, 1919 को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी। इससे लोग उग्र हो उठे तथा बैंकों, डाकघरों तथा रेलवे स्टेशनों पर हमले करने लगे।
4 गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का क्यों फैसला किया ?
उत्तर-असहयोग आंदोलन अपने पूरे जोरों पर चल रहा था जब महात्मा गाँधी ने 1922 ई० को उसे वापस ले लिया। इस आंदोलन के वापस लिए जाने के निम्नांकित कारण थे-
(क) महात्मा गाँधी अहिंसा और शांति के पूर्ण समर्थक थे, इसलिए जब उन्हें यह सूचना मिली कि उत्तेजित भीड़ ने चौरी-चौरा के पुलिस थाने को आग लगा कर 22 सिपाहियों की हत्या कर डाली है तो वह परेशान हो उठे। उन्हें अब विश्वास न रहा कि वे लोगों को शान्त रख सकेंगे। ऐसे में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लेना ही उचित समझा।
(ख) दूसरे वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएँगे तो अंग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो उठेगी और आतंक का राज्य स्थापित हो जाएगा और अनेक निर्दोष लोग मारे जाएँगे। महात्मा गाँधी जलियाँवाला बाग जैसे हत्याकांड की पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते थे इसलिए 1922 ई० में उन्ह असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर टिप्पणी लिखें। उत्तर- जलियाँवाला बाग हत्याकांड-
(क) रॉलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गाँधी और सत्यपाल किचलू गिरफ्तार है चुके थे। इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 ई० वैशाखी पर्व के दिन अमृतसर में जलियाँवाला बाग में एक जनसभा के आयोजन किया गया था।
(ख) अमृतसर के सैनिक प्रशासक जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोष्टि कर दिया था, परंतु सभा हुई थी। तब उसने वहाँ पर गोली चलवाई इसमें सैकड़ों व्यक्ति मौत का शिकार हो गए थे।
(ग) इस हत्याकांड के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने एक इंटर आयोग स्थापि किया था और उस आयोग की रिपॉट के बाद जनरल डायर को अ सम्मान दिए थे। इससे महात्मा गाँधी असहयोगी हो गए थे, और उन्हें असहयोग आंदोलन चलाने का निश्चय किया था। (घ) जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास की सबसे दर्दनाक घट थी। इससे भारत भर में रोष की लहर फूट पड़ी।
5.सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है ?
उत्तर- सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति का आग्रह और सत्य की खोज गाँधीजी ने जोर दिया था। सत्याग्रह के विचार के अर्थ की व्याख्या निम्नांकि रूप से की जा सकती है-
(क) यदि आपका उद्देश्य सच्चा और न्यायपूर्ण है, तो आपको अंत में सफल अवश्य मिलेगी. ऐसा महात्मा गाँधी का विचार था।
(ख) प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केद अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।
(ग) इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए। उत्पी शत्रु को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीक करने पर विवश करने के बजाय सच्चाई को देखने और सहज भाव स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
(घ) इस संघर्ष में अंततः सत्य की ही जीत होती है। गाँधीजी को विश्वास था अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है।
6.1920 के असहयोग आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा असहयोग आंदोलन सन् 1920 में प्रारंभ हो 1922 को समाप्त हुआ।
इसके प्रभाव निम्नांकित थे-
(क) इस आंदोलन से जनता में नया उत्साह उत्पन्न हो गया।
(ख) हिंदू-मुस्लिम मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने लगे। (ग) लोगों ने सरकारी नौकरियों छोड़ दीं।
(घ) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया। साइमन कमीशन पर टिप्पणी लिखें।
7.साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया था ? भारतीयों ने साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया ?
उत्तर- (क) ब्रिटेन की टोरी सरकार ने भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में 1927 ई० में एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसे साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है। इस कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।
(ख) इस आयोग के सभी सदस्य अँग्रेज थे उनका कार्य यही था कि भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना एवं तदनुरूप सुझाव देना था।
(ग) भारत में इसका विरोध इसलिए हुआ कि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं थे सारे सदस्य अँग्रेज थे। अतः 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत साइमन कमीशन वापस जाओ के नारों से किया गया। कॉंग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
(घ) पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। पुलिस ने उन पर इतनी लाठियाँ बरसाई कि इस प्रहार से उनकी मृत्यु हो गई।
8.भारत माता की छवि और जर्मेनिया की छवि की तुलना करें।
उत्तर- 1948 ई० में जर्मन चित्रकार फिलिप वेट ने अपने राष्ट्र को जर्मेनिया के रूप में प्रस्तुत किया। वे बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दिखाई गई हैं क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। भारत में भी अबनिंद्रनाथ टैगोर जैसे अनेक कलाकारों ने भारत राष्ट्र को भारत माता के प्रतीक के रूप में दिखाया है। एक चित्र में उन्होंने भारत माता को शिक्षा भोजन और कपड़े देती हुई दिखाया है।
एक अन्य चित्र में भारत माता को अन्य ढंग से दिखाया गया है अबनिन्द्रनाथ टैगोर के चित्र से बिल्कुल भिन्न है। इस चित्र में भारत माता को शेर और हाथी के बीच खड़ी दिखाया गया और उसके हाथ में त्रिशूल है। भारत माता की ऐसी छवि शायद सभी जातियों को रास न आए।
9.स्वराज दल का गठन क्यों किया गया था ? इसका कार्य क्या था ?
उत्तर- (क) स्वराज्य दल का गठन 1923 ई० में कांग्रेस के स्पेशल अधिवेशन (दिल्ली) में अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में हुआ था। कांग्रेस ने स्वराज्यवादियों को अनुमति दे दी कि वे चुनाव में भाग ले सकते हैं। उन्होंने केंद्रीय औ प्रांतीय धारा सभाओं में बहुत अधिक सीटें पाई।
(ख) इससे अंग्रेजों को परेशानी हुई कि वे अपनी नीतियों और प्रस्तावों आसानी से पास न करवा पाएँगे।
(ग) स्वराज्यवादियों ने अंग्रेज विरोधी भावना बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिक निभाई।
10.डांडी यात्रा से आप क्या समझते हैं ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर- अंग्रेजों के नमक कानून के खिलाफ गाँधीजी ने डांडी यात्रा प्रारंभ की जिसक उद्देश्य नमक कानून का उल्लंघन करना था। स्वतंत्रता के लिए देश को करने के लिए गाँधीजी ने नमक को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में देख नमक सर्वसाधारण के भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा था तथा चिकित्सकी दृष्टिकोण से भोजन में इसकी उपस्थिति अत्यंत आवश्यक थी। अतः नमक को महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया।
इस आंदोलन के अंतर्गत गाँधीजी ने अपने गिने-चुने साथियों के साथ साबरम आश्रम से 240 कि०मी० दूर डांडी नामक तटीय कस्बे तक की पैदल यात्रा की यद्यपि नमक आंदोलन का केन्द्रीय उद्देश्य कानून का उल्लंघन करना थ लेकिन इस आंदोलन ने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय जनमानस में एक राष्ट्री विरोध की भावना को जन्म दिया।
डांडी मार्च अभूतपूर्व घटना हुई, जिस ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया। डांडी यात्रा द्वारा ही गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | Long answer type question
1.पूना पैक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- (क) महात्मा गाँधी तथा अन्य नेताओं ने सांप्रदायिक पंचाट की कटु आलोचन की। गाँधीजी ने 20 सितम्बर, 1932 ई० को पूना की यर्वघा जेल में है आमरण अनशन प्रारम्भ किया।
(ख) अंत में गाँधीजी और डॉ० अम्बेदकर की स्वीकृति से एक समझौता हुआ “पूना समझौते के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश सरकार ने भी को स्वीकार कर लिया।
(ग) इस समझौते में हरिजनों के प्रतिनिधि भीमराव अम्बेदकर और एम० सी राजा थे। पूना पैक्ट की शर्तों के अनुसार अछूतों (दलित वर्गों) के लि पृथक निर्वाचन-मंडल समाप्त कर दिया गया।
(घ) अछूतों के लिए स्थान तो सुरक्षित किए जाएँगे परन्तु उनका निर्वाच संयुक्त प्रणाली के आधार पर किया जाएगा। हरिजनों को शिक्षा के आर्थिक सहायता देने के लिए भी पूना पैक्ट में शर्त रखी गई।
(ख) प्रांतीय विधान-मंडलों में उनके लिए सुरक्षित स्थानों की संख्या 71 बढ़ाकर 148 कर दी गई और केन्द्रीय विधानमंडल में उनके लिए 18 प्रति स्थान सुरक्षित कर दिया गया।
(a) पूना पैक्ट के शर्तों के अनुसार स्थानीय संस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में हरिजनों को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया।
2.सविनय अवज्ञा आन्दोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया ?
उता विभिन्न वर्गों और समूहों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में हिस्सा लिया। क्योंकि स्वराज के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे-
(क) ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होगी और व्यापार व उद्योग निर्वाध ढंग से फल-फूल सकेंगे।
(ख) धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के खिलाफ लड़ाई।
(ग) महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति ।
(घ) गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था उनके पास स्वयं की जमीन होगी, उन्हें जमीन का किराया नहीं देना होगा और बेगार नहीं करनी पड़ेगी।
3 गाँधी- इर्विन समझौता कब हुआ था ? इसकी किसी एक शर्त का उल्लेख करें।
उत्तर- मार्च, 1931 ई० को तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन और महात्मा गाँधी में एक समझौता हुआ जो गाँधी इर्विन समझौता के नाम से प्रसिद्ध है।
(क) इस समझौता के अनुसार सरकार ने सविनय अवज्ञा आंदोलन से संबंधित सभी बन्दी रिहा कर दिए गए।
(ख) महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर दिया और दूसरी गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेना भी स्वीकार कर लिया।
4.खिलाफत आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- खिलाफत आन्दोलन-
(क) प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। इस आशय की अफवाह फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन सम्राट पर एक बहुत सख्त शांति संधि थोपी जायेगी।
(ख) खलीफा के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।
(ग) मोहम्मद अली और शौकत अली बन्धुओं के साथ-साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जनकार्रवाई की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ वार्तालाप की।
(घ) सितम्बर 1920 में महात्मा गांधी सहित दूसरे नेताओं ने यह बात मान ली कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए।
5.गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को एकाएक क्यों रोक दिया, जबकि यह पूरे जोर-शोर पर था ?
उत्तर- दिसंबर सन् 1920 के नागपुर अधिवेशन में काँग्रेस ने अपना लक्ष्य स्वराज्य प्राप्त करना घोषित किया। इसके साथ ही असहयोग आंदोलन चलाना भी स्वीकार कर लिया। ऐनी बेसेंट, जिन्ना और विपिनचंद्र पाल इस आंदोलन के पक्ष में नहीं थे इसलिए उन्होंने कॉंग्रेस से त्यागपत्र दे दिया।
असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम थे स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, उपाधियों का त्याग, स्थानीय संस्थाओं से मनोनीत पदों का त्याग, सरकारी स्कूलों का त्याग, सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार, विधानमंडलों के चुनाव में भाग न लेना और सैनिक, कलको आदि की नौकरियों का त्याग।
महात्मा गाँधी और अन्य नेताओं के प्रयासों से यह आंदोलन शीघ्र ही उग्र रूप धारण कर लिया। गाँधीजी और अन्य महत्त्वपूर्ण नेताओं को जेल में डाल दिया गया। यह आंदोलन दो वर्ष तक सक्रिय रूप से चला, तभी उत्तर प्रदेश में चौरी-चौरा नामक स्थान पर एक भीड़ ने 5 फरवरी को एक पुलिस चौकी को आग लगा दी। महात्मा गाँधी ने चौरी-चौरा की इस हिंसापूर्ण घटना से दुखित होकर इस आंदोलन को समाप्त कर दिया।
6 नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उत्तर- (क) 12 मार्च, 1930 ई० को डांडी यात्रा द्वारा गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का सूत्रपात किया। गाँधीजी के अनुयायियों ने डांडी नामक समुद्र तटीय स्थान पर नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा। यह आंदोलन सरकारी आदेशों को न मानने का प्रतीक था।
(ख) ब्रिटिश कानून को तोड़ना निःसन्देह उपनिवेशवाद के विरुद्ध एक जबर्दस्त कदम था। देखने को यह समुद्र के पानी से नमक बनाने की प्रक्रिया एक साधारण-सी घटना लगती है परन्तु इसके उपनिवेशवाद के सारे ढांचे को ही हिला कर रख दिया।
(ग) साबरमती आश्रम से डांडी की कोई 240 मील की यात्रा में महात्मा गाँधी और उनके साथियों को अनेक स्थानों पर रुकना पड़ा। हर पड़ाव में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध नारेबाजी होती रही जिससे राष्ट्रीय भावनाएँ और उत्तेजित होती गई और लोगों में उपनिवेशवाद के प्रति घृणा पैदा होने लगी।
(घ) जैसे ही 6 अप्रैल, 1930 ई० को समुद्र के पानी से नमक बनाया गया सबको यह पता चल गया कि ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिगुल बज चुका है।
इस प्रकार नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक बन गई।
7 लाहौर कॉंग्रेस अधिवेशन का क्या महत्व था ?
उत्तर- लाहौर कॉंग्रेस अधिवेशन का निम्नांकित महत्व था- (क) 1929 ई० के कॉंग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष पं० जहवारलाल नेहरू थे। इससे स्पष्ट हो गया कि प्रजातंत्र और समाजवाद में आस्था वाले नेता अब कॉंग्रेस में प्रभावशाली हो चुके थे। नए
(ख) अपने इसी अधिवेशन में कॉंग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव पास प्राप्त किया। एक विशेष प्रस्ताव में यह कहा गया ब्रिटिश सरकार ने भारत क आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक रूप से बर्बाद कर दि है। हम विश्वास करते हैं कि भारत को पूर्ण स्वराज्य या पूरी आजादी करनी ही चाहिए।
(ग) स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का निर्णय में लिया गया। एक प्रस्ताव में स्पष्ट कहा गया “हमें पूर्ण विश्वास है कि चाहे हम स्वेच्छा से दी गई सहायता को वापस ले लें और अहिंसा के मार्ग पर चलते। सभी करों का देना बंद कर दें तो यह दुष्ट शासन समाप्त हो सकता है।
(घ) यह भी निर्णय लिया गया कि हर साल 26 जनवरी का दिन सम्पूर्ण भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाए। इस प्रकार 26 जनवरी 1930 ई० को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया। इसके मनाए जाने से जनसाधारण में एक बड़ा जोश पैदा हो गया और पूर्ण स्वराज्य क संदेश घर-घर पहुँच गया।
कल्पना करें कि आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं।
8.बताएँ कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता ?
उत्तर- सिविल नाफरमानी आंदोलन में भाग लेने के लिए मुझे एक महिला के न कितना फखर होता। मुझे न केवल महात्मा गाँधी जैसे बड़े नेताओं से मिलने क ही सौभाग्य प्राप्त होता वरन् उनके साथ-साथ साबरमती आश्रम से डांडी त चलते-चलते कितना आनन्द प्राप्त होता ।
इन 25-26 दिन (12 मार्च, 1930 रु 5 अप्रैल, 1930 तक) की यात्रा में स्थान-स्थान पर हमारा स्वागत हुआ, हजार की संख्या में लोग महात्मा गाँधी को सुनने आये लोगों ने जम कर अं सरकार के विरुद्ध नारे लगाए। सारा वातावरण ऐसे बन गया कि मैं सोचने क मजबूर हुई कि वह दिन दूर नहीं जब भारत स्वतंत्र होकर रहेगा। 6 अप्रैल 1 दिन डांडी स्थान पर समुद्र के किनारे महात्मा गाँधी ने समुद्र के नमकीन प से नमक तैयार करना जैसे ही शुरू किया भारत माता जिन्दाबाद जिन्दाबाद ‘हम आजादी लेकर रहेंगे’ आदि नारों से आकाश गूंज उठा।
9.राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका (चुनाव क्षेत्रों) के सवाल पर क्यों बँटे हुए
उत्तर- (क) राजनीतिक नेता भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों प्रतिनिधित्व करते थे।
(ख) जैसे- डॉ० अम्बेदकर दमित वर्गों या दलितों का नेतृत्व करते थे। इसी
प्रकार मोहम्मद अली जिन्ना भारत के मुस्लिम सामाजिक समूह का प्रतिनिधित्व करते थे। (ग) ये नेतागण विशेष राजनीतिक अधिकारों और पृथक निर्वाचन क्षेत्र माँगकर अपने अनुयायियों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना चाहते थे।
(घ) लेकिन कॉंग्रेस पार्टी, विशेषकर गाँधीजी का मानना था कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
(ड) वे इस माँग के विरुद्ध थे और एक समय इसके लिए आमरण अनशन पर भी बैठे थे। यही वे कारण थे कि राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के सवाल पर बैटे हुए थे।
10 भारतीयों में सामूहिक अपनेपन का भाव विकसित करने वाले कारकों का उल्लेख करें।
जब लोग ये महसूस करने लगते हैं कि वे एक ही राष्ट्र के अंग है; जब वे एक-दूसरे को एकता के सूत्र में बाँधने वाली कोई साझा बात ढूंढ लेते हैं। लेकिन राष्ट्र लोगों के मस्तिष्क में एक यथार्थ का रूप कैसे लेता है ? विभिन्न समुदायों, क्षेत्रों या भाषाओं से संबद्ध अलग-अलग समूहों ने सामूहिक अपनेपन का नाद कैसे विकसित किया ?
सामूहिक अपनेपन की यह भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों के चलते पैदा हुई थी। इनके अलावा बहुत सारी सांस्कृतिक प्रक्रियाएँ भी थीं जिनके जरिए राष्ट्रवाद लोगों की कल्पना और दिलोदिमाग पर छा गया था। इतिहास व साहित्य, लोक कथाएँ व गीत, चित्र व प्रतीक, सभी ने राष्ट्रवाद को साकार करने में अपना योगदान दिया था।
11 असहयोग आंदोलन में भारतीयों द्वारा अपनाए गए विभिन्न तरीकों का उल्लेख करें।
उत्सहयोग आंदोलन में भारतीयों द्वारा अपनाए गए विभिन्न तरीके- (क) गांधीजी असहयोग आंदोलन को योजनाबद्ध तरीके से प्रारंभ करना चाहते
थे। उनका विचार था कि सर्वप्रथम सरकार द्वारा दी गई पदवियों को लौटा दिया जाए तथा इसके बाद सरकारी नौकरियों तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया जाए।
(ख) असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से प्रारंभ हुआ। विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए. शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया, वकीलों ने मुकदमे लड़ने बंद कर दिए तथा मद्रास के अतिरिक्त प्रायः सभी प्रांतों में परिषद चुनावों का बहिष्कार किया गया।
(ग) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई तथा विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।
(घ) व्यापारियों ने विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इंकार कर दिया। देश में खादी का प्रचलन और उत्पादन बढ़ा ।
(ङ) ग्रामीण इलाकों में जमींदारों को नाई धोबी सुविधाओं से वंचित करने के लिए पंचायतों ने नाई-धोबी बंद का फैसला किया। संरचनागत ऐसी विशाल परियोजनाएं जिनसे अर्थव्यवस्था का ढाँचा तैयार होता है। बड़ी सड़क परियोजनाएं, बिजलीघर या रेल नेटवर्क आदि इसी तरह की परियोजनाएं हैं।
कक्षा 10 इतिहास समाधान | class 10 history solution
FAQs
Q. डांडी यात्रा का क्या महत्व है ?
उत्तर-डांडी यात्रा (1930 ई०) द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को शुरू किया गया।
Q. खिलाफत आंदोलन कब और किसने शुरू किया ?
उत्तर- खिलाफत आंदोलन 1919 ई० को दो अली भाइयों मुहम्मद अली और शौकत अली ने शुरू किया।
Q. गाँधी-इरविन समझौता की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
उत्तर-गाँधी इरविन समझौता के साथ ही गाँधीजी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस समझौते की मुख्य विशेषताएँ थीं-
(क) सरकार सभी कैदियों को छोड़ने के लिए तैयार हो गई, जिनके विरुद्ध हिंसा से जुड़ा कोई मामला नहीं था।
(ख) गाँधीजी को प्रतिनिधि के रूप में भेजा गया।