Ncert Class 10 History Chapter 2 Question Answer in Hindi | कक्षा 10वीं अध्याय 2 भारत-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन प्रश्न उत्तर

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Ncert Class 10 History Chapter 2 Question Answer in Hindi | कक्षा 10वीं अध्याय 2 भारत-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन प्रश्न उत्तर

कक्षा | Class10th
अध्याय | Chapter02
अध्याय का नाम | Chapter Nameभारत-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
बोर्ड | Boardसभी हिंदी बोर्ड
किताब | Book एनसीईआरटी | NCERT
विषय | Subjectइतिहास | History
मध्यम | Medium हिंदी | HINDI
अध्ययन सामग्री | Study Materialsप्रश्न उत्तर | Question answer


महत्वपूर्ण खोजशब्द | Important keywords

संरचनागत : ऐसी विशाल परियोजनाएँ जिनसे अर्थव्यवस्था का ढाँचा तैयार होता है। बड़ी सड़क परियोजनाएँ, बिजलीघर या रेल नेटवर्क आदि इसी तरह की परियोजनाएँ हैं।

एकतरफा अनुबंध व्यवस्था : वियतनाम के बागानों में इस प्रकार की मजदूरी व्यवस्था काफी प्रचलित थी। इस व्यवस्था में मजदूर ऐसे अनुबंधों के तहत काम करते थे जिनमें मजदूरों को कोई विशेष अधिकार नहीं दिए जाते थे जबकि मालिकों को बेहिसाव अधिकार मिलते थे। यदि मजदूर अनुबंध की शर्तों के तहत अपना काम पूरा न कर पाएँ तो मालिक उनके खिलाफ मुकदमें दायर कर देते थे, उन्हें सजा देते थे, जेलों में डाल देते थे ।

समन्वयवाद : ऐसा विश्वास जिसमें भिन्नताओं की बजाय समानताओं पर ध्यान देते हुए भिन्न-भिन्न मान्यताओं तथा आचारों को एक-दूसरे के साथ लाने का प्रयास किया जाता है।

यातना शिविर : एक प्रकार की जेल जिसमें कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही लोगों को कैद में डाल दिया जाता है। इस शब्द को सुन कर निर्मम अत्याचार और गहन यातना की तसवीरें मन में कौंध जाती हैं। 

गणतंत्र : आम जनता के जनप्रतिनिधित्व और सहमति पर आधारित शासन व्यवस्था । राजशाही के विपरीत ऐसी सरकार लोगों की सत्ता (लोकशाही) पर आधारित होती है।

नापाम : अग्नि बमों के लिए गैसोलीन को फुलाने में प्रयोग होने वाला एक ऑर्गेनिक कंपाउंड। यह मिश्रण धीमी गति से जलता है और मानव चचा जैसी किसी भी सतह के संपर्क में आने पर उससे चिपक जाता है और जलता रहता है। अमेरिका में विकसित किए गए इस रसायन का सरे विश्व युद्ध में प्रयोग किया गया था। अत्यधिक अंतर्राष्ट्रीय विरोध के बावजूद भी इसका वियतनाम में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया।

लघु उत्तरीय प्रश्न | short answer type question

Ncert Class 10 History Chapter 2 Question Answer in Hindi
Ncert Class 10 History Chapter 2 Question Answer in Hindi

संक्षेप में लिखें | Write in brief

1. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें- 

(क) उपनिवेशकारों के ‘सभ्यता मिशन’ का क्या अर्थ था ?

उत्तरः उननिवेशकारों के ‘सभ्यता मिशन’ का अर्थ है-फ्रांसीसी उपनिवेशवाद केवल आर्थिक शोषण पर ही केंद्रित नहीं था, अपितु इसके पीछे ‘सभ्यता मिशन’ भी काम कर रहा था। इस मिशन के अनुसार प्रत्येक यूरोपीय उपनिवेशवादी का यह विश्वास था कि यूरोप में सबसे विकसित सभ्यता कायम हो चुकी है। इसलिए वे मानते थे इन आधुनिक विचारों का प्रसार करना यूरोपियों का ही दायित्व है। ये उनका कर्तव्य है कि वे एशिया तथा अफ्रीका जैसे उपनिवेशों के लोगों को सभ्य तथा शिक्षित बनाएँ। इस दायित्व को पूरा करने के लिए यदि उन्हें स्थानीय संस्कृतियों, धर्मों व परंपराओं को भी नष्ट करना पड़े तो इसमें कोई बुराई नहीं 

(ख) हुइन फू सो । .

उत्तर: हुइन फू सो 1939 में वियतनाम में हुए हाओ-होओ आंदोलन के संस्थापक थे । हरे-भरे मेकांग डेल्टा क्षेत्र में यह आंदोलन काफी लोकप्रिय हुआ। होआ हाओ आंदोलनकारी फ्रांस के औपनिवेशिक शासन के विरूद्ध थे। हुइन फू सो जादू-टोना तथा गरीबों की मदद करने वाले व्यक्ति थे । व्यर्थ के खर्चे के खिलाफ उनके उपदेशों का लोगों पर काफी प्रभाव होता था । यह बालिका वधुओं की खरीद-फरोख्त, शराब व अफीम के प्रखर विरोधी थे। फ्रांसीसियों द्वारा हुइन फू सो के इस आंदोलन को कुचलने का काफी प्रयास किया गया। इसी कड़ी में उन्होंने हुइन फू सो को पागल घोषित कर उसे पागलखाने में डाल दिया। 

लेकिन बाद में इसी पागलखाने का वह डॉक्टर जिसने उन्हें पागल घोषित किया था उनका अनुयायी बन गया। अंततः 1941 में डॉक्टरों ने भी ये मान लिया कि हुइन फू सो पागल नहीं है। तत्पश्चात् उन्हें वियतनाम से लाओस भेज दिया गया। उनके बहुत सारे समर्थकों एवं अनुयायियों को यातना शिविरों में डाल दिया गया।

2. निम्नलिखित की व्याख्या करें-

(क) वियतनाम के केवल एक तिहाई विद्यार्थी ही स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर पाते थे ।

उत्तरः वियतनाम में शिक्षित लोगों को फ्रांसीसी विचारों से जोड़ने के लिए फ्रांसीसियों द्वारा उन्हें यह अहसास दिलाने का प्रयास किया गया कि वियतनामी भाषा, संस्कृति और परंपरा की तुलना में फ्रांसीसी संस्कृति तथा भाषा अधिक श्रेष्ठ है । परन्तु फिर भी अधिकांश वियतनामी जनता फ्रांसीसी प्रभाव के स्कूलों में न जा सकी और केवल कुछ ही लोग ऐसे स्कूलों में प्रवेश ले सके, क्योंकि वियतनामी लोगों को ऐसा लग रहा था कि फ्रांसीसी उनकी भाषा तथा संस्कृति को तबाह करने में लगे हुए हैं। 

इसके अलावा फ्रांसीसी प्रभाव वाले स्कूलों में वियतनामी विद्यार्थियों के साथ अक्सर भेदभाव पूर्ण व्यवहार भी देखने में आता था जो वहाँ के अध्यापकों द्वारा प्रायः जानबूझकर किया जाता था ताकि वियतनामी विद्यार्थी अच्छे वेतनमानों वाली नौकरियों ना कर सकें। वियतनाम के लगभग 2/3 विद्यार्थी जहाँ परीक्षा में असफल घोषित किये जाते थे, वहीं केवल 1 3 विद्यार्थी ही इसमें सफल होते थे। एक अनुमान . के अनुसार 1925 में 170 लाख की वियतनामी जनसंख्या में केवल 400 बच्चे ही स्कूल परीक्षा पास कर सके थे।

(ख) फ्रांसीसियों ने मेकाँग डेल्टा क्षेत्र में नहरें बनवाना और जमीनों को सुखाना शुरू किया।

उत्तर:फ्रांसीसियों द्वारा वियतनाम के मेकाँग डेल्टा क्षेत्रों में नहरों एवं नालियों का निर्माण किया गया। ज्यादातर लोगों को जबरदस्ती काम पर लगाकर निर्मित की गई इस व्यवस्था से चावल उत्पादन में काफी वृद्धि हुई । फलस्वरूप वियतनाम कई दूसरे देशों को चावल निर्यात करने लगा। 

(ग) सरकार ने आदेश दिया कि साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल उस लड़की को वापस कक्षा में ले, जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था।

उत्तरः1926 में एक वियतनामी लड़की को स्कूल में अगली पंक्ति से उठकर पीछे जाकर बैठने के लिए कहा गया। साइगॉन नेटिव गर्ल्स

स्कूल में हुए इस विवाद ने एक विशाल आंदोलन का रूप ले लिया। जब हालात बेकाबू होने लगे तो सरकार ने आदेश जारी किया कि लड़की को दोबारा स्कूल में लिया गया। स्कूल के प्रधानाचार्य ने लड़की को वापिस स्कूल में दाखिल तो कर लिया, परन्तु साथ ही ये ऐलान कर दिया कि ‘मैं सारे वियतनामियों को पाँव तले कुचल कर रख दूंगा। 

वाह ! तुम लोग मुझे वापस भिजवाना चाहते हो। अच्छी तरह गाँठ बाँध लो, जब तक एक भी वियतनामी कोचिन चाइना में बसने की जुर्रत करता रहेगा, तब तक में यहाँ से जाने वाला नहीं हूँ।” दूसरे इलाकों में सरकार ने इस कदम का जमकर विरोध किया कि वियतनामी बच्चों को अच्छे वेतन वाली नौकरियाँ न मिले। ये विद्यार्थी अब तक देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत हो चुके थे। 

class 10th NotesMCQ
HistoryPolitical Science
EnglishHindi
HOMECLASS 10

(घ) हनोई के आधुनिक, नवनिर्मित इलाकों में चूहे बहुत थे। 

उत्तरः (i) फ्रांसीसियों ने एक नए आधुनिक शहर का निर्माण करने के लिए हनोई के फ्रांसीसी आबादी वाले हिस्से के एक खूबसूरत और साफ-सुथरे हिस्से का चुनाव किया। वहाँ चौड़ी सड़कें और पानी की निकासी का बढ़िया इंतजाम था।

(ii) पुराने शहर का सारा कचरा और गंदा पानी सीधे नदी में बहा दिया जाता था। यहाँ तक कि बारिश के मौसम में सारी गंदगी बहकर सड़कों पर आ जाती थी। यह गंदगी ही वास्तव में प्लेग की शुरूआत थी। 

(iii) शहर के आधुनिक हिस्से में बने विशाल सीवर चूहों के पनपने के लिए सबसे आदर्श स्थान था। इनके द्वारा चूहे बेखटक सारे शहर में घूमते थे।

(iv) फ्रांसीसियों के चाक-चौबंद घरों में चूहों को घुसपैठ रोकने के लिए 1902 में चूहों को पकड़ने की एरिया भर गई। इस काम के लिए विवश का हर चूहे के बदले इनाम दिया जाने लगा।

(V) 1903 में हनोई के नवनिर्मित भाग में व्यूवॉनिक प्लेग की भयंकर महामारी फैल गई जिसमें हनोई के हालात अत्यंत बदतर हो गए।

(vi) इस महामारी से निपटने के लिए बड़ी मात्रा में चूहे पकड़े गये। अकेले 30 मई को ही 20,000 चूहे पकड़े गए, परन्तु चूहे खत्म होने का नाम ही न लेते थे। वियतनामी चूहे मारने के इस आंदोलन के माध्यम से सामूहिक सौदेबाजी के महत्व को समझ गए। उन्हें लगा कि अगर वे एकजूट हो जाएं तो वे अच्छे मेहनताने के लिए मोलभाव कर सकते हैं। चूहे मारने के बाद प्रत्येक वियतनामी को सुबूत के तौर पर उनकी पूंछ अपने साथ लानी पड़ती थी।

3. टोंकिन फ्री स्कूल की स्थापना के पीछे कौन से विचार ये?  वियतनाम में औपनिवेशिक विचारों के लिहाज से यह उदाहरण कितना सटीक है? 

उत्तरः (i) वियतनामियों को उपनिवेशवादी फ्रांसीसी सरकार द्वारा पश्चिमी ढंग की शिक्षा (जिसमें विज्ञान, स्वच्छता तथा फ्रांसीसी भाषाएँ शामिल थीं) देने के लिए 1907 में टोंकिन फ्री स्कूल खोला गया।

(ii) स्कूल की राय थी कि आधुनिक बनने के लिए वियतनामियों को पश्चिम के लोगों जैसा बनना पड़ेगा। इसलिए यह स्कूल अपने छात्रों द्वारा पश्विनी शैलियों को अपनाने पर जोर देता था ।

(iii) इसमें ऐसी पक्षपातपूर्ण पाठ्य सामग्री का प्रयोग किया जाता था जो वियतनामी संस्कृति का मजाक उड़ाती थी । 

(iv) शिक्षकों और विद्यार्थियों ने इन पुस्तकों तथा पाठ्यक्रमों का आँख मूँद कर अनुसरण नहीं किया। कहीं इनका खुलकर विरोध हुआ तो कई लोगों ने खामोशी से प्रतिरोध दर्ज कराया। इस प्रकार टोंकिन फ्री स्कूल वियतनाम में औपनिवेशिक विचारों के लिहाज से एक सटीक उदाहरण है।

4. वियतनाम के बारे में फान चू त्रिन्ह का उद्देश्य क्या था? फान बोई चाऊ और उनके विचारों में क्या भिन्नता थी? 

उत्तरः फान चू-त्रिन्ह-फान चू त्रिन्ह वियतनाम के एक प्रमुख नेता थे जिन्होंने राजतंत्र का डटकर विरोध किया। उन्हें यह कतई मंजूर नहीं था कि फ्रांसिसियों को देश से बाहर निकलने के लिए शाही दरबार या राजा की सहायता ली जाए। पश्चिम के लोकतांत्रिक आदर्शो से प्रभावित चिन्ह पूरी तरह से पश्चिमी सभ्यता के खिलाफ थे। इसके अलावा उन्हें स्वतंत्रता के फ्रांसीसी क्रांतिकारी आदर्श तो पंसद थे, परन्तु साथ ही उनका यह भी मानना था कि स्वयं फ्रांसीसी ही उन आदर्शो का पालन नहीं कर रहे हैं। 

वे चाहते थे कि फ्रांसीसी सरकार वियतनाम में भी वैधानिक तथा शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करें तथा कृषि एवं उद्योगों का विकास करे। फान बोई चाऊ-फान बोई चाऊ (1867-1940) कन्फ्यूशियन परंपरा में शिक्षित एक महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी थे। 1903 में उन्होंने ‘रेवोल्यूशनरी सोसायटी’ नामक पार्टी का गठन किया। ‘द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम’ उनकी सबसे प्रभावशाली पुस्तक जो एक दूसरे से जुड़े दो विचारों पर केंद्रित है । फान चू त्रिन्ह की भाँति फान बोई चाऊ भी वियतनाम को फ्रांसीसी प्रभाव से मुक्त | कोराना चाहते थे, परन्तु वे वियतनाम में पारंपरिक चीनी शासन की स्थापना चाहते थे। इसके अलावा वे वियतनाम को स्वतंत्र कराने में शाहीदरबार तथा वियतनाम के अभिजात्य वर्गे की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते थे ।

2. वियतनाम में उपनिवेशवाद-घिरोधी भावनाओं के विकास में धार्मिक संगठनों की भूमिका क्या थी?

उत्तरः धार्मिक संगठनों ने वियतनाम में उपनिवेशवाद-विरोधी भावनाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सन्दर्भ में होआ हाओ एक प्रसिद्ध उपनिवेशवाद-विरोधी था जो हूइन फू सा के नेतृत्व में 1939 में आरम्भ हुआ । इस तरह के आंदोलनों का राष्ट्रवाद की मुख्यधारा के साथ अंतर्विरोधी संबंध रहता था । 

राजनीतिक दल ऐसे आंदोलनों से जुड़े जनसमर्थन का फायदा तो उठाने की कोशिश करते थे, लेकिन उनकी गतिविधियों से बेचैन भी रहते थे। फ्रांसीसी सरकार ने इन आंदोलनों के समर्थकों और अनुयायियों को बड़ी मात्रा में यातना शिविरों में डाल दिया । परन्तु फिर भी वे लोगों की उपनिवेशवाद विरोधी भावनाओं का दमन नहीं कर सके। इसी संदर्भ में 1868 के ‘स्कालर्स रिवोल्ट’ का उदाहरण दिया जा सकता है, जो फ्रांसीसी कब्जों और ईसाई धर्म के प्रचार के खिलाफ शुरुआती आंदोलनों में से एक था। 

इस आंदोलन की बागडोर शाही दरबार के अफसरों के हाथ में थी। ये अफसर फ्रांसीसी कैथोलिक धर्म और फ्रांसीसी सत्ता के प्रसार से नाराज थे। यद्यपि इस आंदोलन को फ्रांसीसियों ने कुचल डाला, परन्तु फिर भी इसने फ्रांसीसियों के खिलाफ अन्य देशभक्तों में उत्साह का संचार जरूर कर दिया। इस प्रकार साम्राज्यवादी भावनाओं को झकझोरने में ऐसे आंदोलनों के योगदान को कम करके नहीं आँका जा सकता। 

3. वियतनाम युद्ध में अमेरिकी हिस्सेदारी के कारणों की व्याख्या करें। अमेरिका के इस कृत्य से अमेरिका में जीवन पर क्या असर पड़े?

उत्तरः वियतनाम युद्ध में अमेरिकी हिस्सेदारी का प्रमुख कारण वहाँ साम्यवाद का प्रसार था, क्योंकि अमेरिकी संसार में साम्यवाद के प्रसार का विरोधी था । यही कारण था कि अमेरिका ने वियतनाम में अपनी फौजें भेजी। इस युद्ध में अमेरिका पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े-

(i) सैनिक क्षति – वियतनाम युद्ध में अमेरिका को काफी सैनिक क्षति उठानी पड़ी। इसमें अमेरिका के लगभग 47,244 सैनिक मारे गए तथा 3,03,704 घायल हुए। घायलों में से लगभग 23014 को तो भूतपूर्व सैनिक प्रशासन ने स्थायी तौर पर अपंग घोषित कर दिया।

((ii) देश में ही अमेरिकी सरकार की नीतियों का विशेष-अमेरिका मैं बहुत से लोग इस बात का विरोध कर रहे थे कि सरकार ने देश को एक ऐसे युद्ध में झोंक दिया है जिसे किसी भी हालत में जीता नहीं जा सकता। जब युवाओं को जबरन सेना में भर्ती किया जाने लगा तो लोगों का गुस्सा और बढ़ गया और चारों और अमेरिकी सरकार की नीतियों की आलोचना की जाने लगी।

(iii) मीडिया और फिल्मों पर प्रभाव इस युद्ध के प्रति समर्थन और विरोध के स्वरों को बुलंद करने में अमेरिकी मीडिया और फिल्मों ने भी एक अहम् भूमिका अदा की। ग्रीन बेरेट्स तथा एपोकल्पित नाऊ इसी प्रकार की उल्लेखनीय फिल्में थीं।

(iv) आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिरोध इस युद्ध के कारण अमेरिका का अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में विरोध मुखर हो उठा, जिसका विभिन्न विद्वानों एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने समर्थन किया। राजनीतिक सिद्धांतकार नोम चॉम्स्की ने इस युद्ध को ‘शांति के लिए, राष्ट्रीय आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए भारी खतरा’ बताया। सरकारी नीति के विरुद्ध व्यापक प्रतिक्रियाओं ने युद्ध समाप्त करने के प्रयासों को और बल प्रदान किया। 

(v) संधि एवं युद्ध की समाप्ति – जनवरी 1974 में पेरिस में एक शांति समझौते के तहत युद्ध समाप्त हो गया, लेकिन साइगॉन शासन और एन.एल.एफ. के बीच टकराव जारी रहा। परन्तु 1975 में राष्ट्रपति के महल पर कब्जे के साथ ही वियतनाम के दोनों हिस्सों को मिलाकर एक राष्ट्र कीस्थापना कर दी गई। 

4. अमेरिका के खिलाफ वियतनामी युद्ध का निम्नलिखित के दृष्टिकोण से मूल्यांकन कीजिए-

(क) हो ची मिन्ह भूलभूलेया मार्ग पर माल ढोने वाला कुली । 

उत्तरः हो ची मिन्ह भूलभूलैया मार्ग इस बात का द्योतक है कि वियतनामियों ने अमेरिका के विरुद्ध किस प्रकार लोहा लिया। दूसरे इससे यह भी पता चलता है कि किस प्रकार इस युद्ध में वियतनामियों ने अपने सीमित संसाधनों का सूझ-बूझ से इस्तेमाल किया। फुटपायों एवं सड़कों के इस विशाल नेटवर्क के जरिए देश के उत्तर से दक्षिण हिस्से को सैनिक व रसद भेजी जाती थी। इसी रास्ते से हर माह लगभग 20 हजार उत्तरी वियतनामी सैनिक दक्षिणी हिस्से में पहुँचने लगे थे। 

इस मार्ग में जगह-जगह छोटे-छोटे सैनिक अड्डे और अस्पताल बने हुए थे। कुछ इलाकों में माल ढुलाई के लिए ट्रकों का प्रयोग भी किया जाता था, परन्तु ज्यादातर यह काम कुलियों द्वारा किया जाता था। अमेरिका ने इस मार्ग को बंद करने के लिए इस पर कई बार बमबारी की, परन्तु इसे तोड़ पाना संभव नहीं हुआ क्योंकि हर हमले के बाद लोग फौरन इसकी मरम्मत कर लेते थे। 

(ख) एक महिला सिपाही ।

उत्तरः खासतौर से निचले तबके की वियतनामी औरतों को पारंपरिक रूप से अधिक बराबरी वाला दर्जा मिलता था, परन्तु फिर भी वे पुरुषों के मुकाबले में कमजोर थीं। वे अपने भविष्य के बारे में अहम् फैसले नहीं ले सकती थीं तथा न ही सार्वजनिक जीवन में उनका कोई खास दखल होता था। परन्तु जैसे-जैसे वियतनाम में राष्ट्रवादी आंदोलन जोर पकड़ने लगा, समाज में महिलाओं की हैसियत व

स्थिति पर भी सवाल उठने लगे और स्त्रीत्व की एक नई तस्वीर सामने आने लगी। अब पुराने जमाने की विद्रोही औरतों का भी महिमामंडन किया जाने लगा। विभिन्न नाटकों तथा कहानियों के जरिए यौद्धा औरतों का चित्रण किया जाने लगा ।

1960 के दशक में पत्र-पत्रिकाओं में दुश्मन से लोहा लेती यौद्धा औरतों की तस्वीरें बड़ी संख्या में छपने लगीं, जिसमें स्थानीय प्रहरी दस्ते की औरतों को हवाई जहाजों को मार गिराते हुए दर्शाया जाता था। जब साठ के दशक में बड़ी संख्या में बड़ी संख्या में युद्ध में सैनिक मारे जाने लगे तो औरतों से भी सेना में भर्ती होने का आह्वान किया गया। बहुत सारी औरतों ने इस आह्वान को गंभीरता से लिया और वे प्रतिरोध आंदोलन में शामिल हो गई। एक सैनिक इतिहासकार के अनुसार, वियतनामी सेना, मिलीशिया, स्थानीय दस्तों और पेशेवर टोलियों में तकरीबन 15 लाख औरतें काम करती थीं।

5. वियतनाम में साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की क्या भूमिका थी? इसकी तुलना भारतीय राष्ट्रवादी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका से कीजिए

उत्तरः वियतनाम में साम्राज्यवादी विरोधी संघर्ष में महिलाओं ने काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जो इस प्रकार है-

(i)प्राचीन वियतनामी वीरांगनाओं जैसे त्रियू अयू और ट्रंग सिस्टर के साहसिक कारनामों ने 20वीं सदी की महिलाओं को काफी प्रभावित किया, जिनसे प्रेरित होकर महिलाओं ने वियतनामी स्वतंत्रता संघर्ष में एक योद्धा के रूप में सक्रिय साझेदारी दर्ज कराई।

(ii) जब साठ के दशक में बड़ी संख्या में पुरुष सैनिक हताहत होने लगे तो औरतों ने बड़ी संख्या में सेना में भर्ती होकर घायलों की मरहम, पट्टी करने, भूमिगत कमरे व सुरंगें बनाने और दुश्मन से मोर्चा लेने बढ़-चढ़ कर भाग लिया ।

(iii) परन्तु युद्ध समाप्ति के बाद औरतों को योद्धा के रूप में पेश करने का चलन खत्म होने लगा। उन्हें सैनिकों के रूप की बजाय कृषि कोऑपरेटिवों, कारखानों और उत्पादन इकाइयों में काम करते हुए दर्शाया जाने लगा । 

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में औरतों की भागीदारी भी वियतनामी औरतों के योगदान से किसी भी तरह से कम नहीं है। यहाँ भी लक्ष्मीबाई जैसी औरतें हुई हैं जिन्होंने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध जमकर संघर्ष किया। इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय सेना और गाँधी जी के सत्याग्रह आंदोलन में स्त्रियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।


कक्षा 10 इतिहास समाधान | class 10 history solution

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FAQs

Q. पेरिस शांति संधि कब हुई ?

पेरिस शांति संधि 1974 हुई |

Q. वियतनाम साम्राज्यवादी गणराज्य की स्थापना कब हुई

वियतनाम साम्राज्यवादी गणराज्य की स्थापना 1976 हुई|

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