Ncert Class 10 History Chapter 7 Question Answer in Hindi | कक्षा 10वीं अध्याय 7 प्रिंट संस्कृति और आधुनिक दुनिया प्रश्न उत्तर

क्या आप कक्षा 10वीं के विद्यार्थी हैं और आप Ncert Class 10 History Ch-7 Question Answer in Hindi में महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर के तलाश में है ? क्योंकि यह अध्याय परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है | इस अध्याय से काफी प्रश्न परीक्षा में आ चुके हैं | जिसके कारण इस अध्याय का प्रश्न उत्तर जानना काफी जरूरी है|

तो विद्यार्थी इस लेख को पढ़ने के बाद आप इस अध्याय से काफी अंक परीक्षा में प्राप्त कर लेंगे ,क्योंकि इसमें सारी परीक्षा से संबंधित प्रश्नों का विवरण किया गया है तो इसे पूरा अवश्य पढ़ें |

Ncert Class 10 History Ch-7 Question Answer in Hindi | कक्षा 10वीं अध्याय 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया प्रश्न उत्तर

कक्षा | Class10th
अध्याय | Chapter07
अध्याय का नाम | Chapter Nameमुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
बोर्ड | Boardसभी हिंदी बोर्ड
किताब | Book एनसीईआरटी | NCERT
विषय | Subjectइतिहास | History
मध्यम | Medium हिंदी | HINDI
अध्ययन सामग्री | Study Materialsप्रश्न उत्तर | Question answer


महत्वपूर्ण खोजशब्द | Important keywords

खुशनवीसी सुलेखन (Calligraphy) वेलम (Vellum) : चर्म-पत्र या जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह ।

प्लाटेन : लेटरप्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है, जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप ली जाती थी। पहल यह वोर्ड काठ से निर्मित होता था, बाद में इस्पात का बनने लगा।

कम्पोजीटर : छपाई के लिए इबारत कम्पोज करने वाला आदमी। गैली : धातु से बना फ्रेम, जिसमें टाइप बिछाकर इबारत बनाई जाती थी ।

गीत – गाथा (Ballad ): लोकगीत का ऐतिहासिक आख्यान, जिसे सुनाया या गाया जाता है।

शराबघर (Tavern ) : वह स्थान जहाँ लोग शराब पीने, खाने, दोस्तों से मिलने तथा बात-विचार के लिए आते थे।प्रोटेस्टेंट धर्मसुधार : सोलहवीं शताब्दी यूरोप में रोमन कैथलिक चर्च में धर्मसुधार का आंदोलन। मार्टिन लूथर प्रोटेस्टेंट सुधारकों में से एक थे। इस आंदोलन से कैथलिक ईसाई मत के विरोध में अनेक धाराएँ निकलीं।

इन्क्वीजीशन (धर्म-अदालत) : विधर्मियों को सजा देने और शिनाख्त करने वाली रोमन कैथलिक संस्था । संप्रदाय किसी धर्म का एक उप-समूह ।

पंचांग : सूरज, चाँद की गति, ज्वार-भाटा के समय और लोगों के दैनिक जीवन से जुड़ी अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ देता वार्षिक प्रकाशन। चैपबुक (गुटका) : पॉकेट बुक के आकार की किताबों के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द। इन्हें आमतौर पर फेरीवाले बेचते थे। ये सोतही सदी की मुद्रण क्रांति के समय से लोकप्रिय हुए।

निरंकुशवाद : राजकाज की एक ऐसी व्यवस्था, जिसमें किसी एक व्यक्ति को संपूर्ण शक्ति प्राप्त हो, और उस पर न संवैधानिक पाबंदी लगी हो, न ही कानूनी । उलमा शरिया के विद्वान और इस्लामी कानून ।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न | Very short answer type question

Ncert Class 10 History Ch-7 Question Answer
Ncert Class 10 History Chapter 7 Question Answer

1 भारत में पहला प्रिंटिंग प्रेस कब लाया गया ? 

उत्तर-भारत में पहला प्रिंटिंग प्रेस गोआ में पुर्तगालियों द्वारा 16 वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में लाया गया।

2.कब और किसने सबसे पहले छापेखाने का आविष्कार किया ? 

उत्तर- गुटेन्बर्ग ने 1448 ई० में किया।

3 गुटनवर्ग ने पहली पुस्तक कौन-सी छापी ?

उत्तर- गुटनवर्ग ने पहली पुस्तक बाइबिल प्रकाशित की। इसकी छपाई भेड़ की खाल पर की गई न कि कागज पर ।

4.भारत में प्रेस की बढ़ोत्तरी कब से हुई ? 

उत्तर-19 वीं सदी के प्रारंभ में भारत में प्रेस प्रारंभ हुआ। इसने लोगों में जागृति लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

5 कौन-सा और कब पहला समाचार पत्र भारत में छपा था ? 

उत्तर-भारत का पहला समाचार पत्र 1780 में प्रारंभ हुआ, जिसका नाम बंगाल गजट था।

6 प्लाटेन क्या है ? 

उत्तर-लेटरप्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है, जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप ली जाती थी। पहले यह बोर्ड काठ का होता था. बाद में इस्पात का बनने लगा। 

7 गाथा – गीत से क्या समझते हैं ? 

उत्तर-लोकगीत का ऐतिहासिक आख्यान, जिसे गाया या सुनाया जाता है।

8 गुटेन्वर्ग कौन थे ? 

उत्तर-गुटेन्वर्ग जर्मनी का एक बड़ा आविष्कारक था जिसने 1448 ई० में प्रेस का आविष्कार किया।  

9.धर्म-सुधार आंदोलन (रेफर्मेशन) का क्या अर्थ है ?

उत्तर-कैथोलिक धर्म को सुधारने के लिए जो आंदोलन शुरू किया गया धर्म-सुधार आंदोलन या रेफर्मेशन कहते हैं।

10 क्या नए प्रिंटर, पुराने प्रिंटरों से अधिक अच्छे हैं ?

उत्तर- नए प्रिंटर बड़ी संख्या में तथा तेज गति से छपाई करते हैं।

11 बंगाल गजट नामक एक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन कब शुरू हुआ ?

उत्तर- 1780 ई० में।

12 फारसी में 19 वीं शताब्दी में छपने वाले दो समाचार-पत्रों के नाम 

उत्तर- (क) जाम-ए-जहाँनामा,

(ख) शम्सूल अखबार । 

13 बाल गंगाधर तिलक ने कौन-सा समाचार-पत्र छापना शुरू किया ?

Ans: केसरी

14 राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित दो समाचार पत्र कौन-से थे ? 

उत्तर-राजा राममोहन राय ने दो समाचार पत्र समद कौमुदी (बंगला) तथा मिरातु अकबर (फारसी) प्रकाशित किए। ये पत्र सामाजिक सुधारों का प्रचार करते थे ।

15 बाल गंगाधर द्वारा प्रकाशित दो पत्रिका कौन-से थे ? 

उत्तर – साप्ताहिक पत्रिका “केसरी” मराठी में बाल गंगाधर द्वारा प्रकाशित की गई। दूसरी पत्रिका “मराठा” इंगलिश में प्रकाशित की गई ।

16 वेलम क्या है ?

उत्तर- चर्म-पत्र या जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह ।

17 गैली क्या है ?

उत्तर-धातुई फेम, जिसमें टाइप बिछाकर इबारत बनाई जाती थी। 

18 भारत के कुछ राष्ट्रवादी अखबारों के नाम लिखें।

उत्तर-बंगाल में अमृत बाजार पत्रिकाएँ प्रारंभ हुई 1868 ई० में। द हिंदू मद्रास से प्रकाशित हुआ 1878 में। 19 वीं सदी के अंत तक लगभग 500 समाचार पत्र तथा पत्रिकाएँ भारत में प्रकाशित हुई।

19 मुद्रण की सबसे पहली तकनीक कहाँ विकसित हुई ?

उत्तर- चीन, जापान और कोरिया में।

20 सुलेखन से आपका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर-सुन्दर सुडौल अक्षरों में कलात्मक लिखाई को सुलेखन कहा जाता है। 

21 जापान में सबसे पहले छपने वाली किताब का क्या नाम था जो 868 ई० के लगभग छापी गई ?

उत्तर- बौद्ध धर्म से सम्बन्धित पुस्तक डायमंड सूत्र ।

22 टोक्यो का पुराना नाम क्या था ?

उत्तर- एदो ।

23 मार्टिन लूथर कौन था ? 

उत्तर- मार्टिन लूथर जर्मनी का एक महान धर्म सुधारक था जिसने रोमन कैथोलिक धर्म का विरोध करने से रेफर्मेशन आंदोलन को जन्म दिया।

24 कालिब किसे कहते हैं ?

उत्तर-हाथ से लिखकर पांडुलिपियों को तैयार करने वालों को कातिब या सुलेखक कहा जाता था।

25 शिलिंग सीरीज क्या थी ? 

उत्तर- ये वे पुस्तकें थी जो सस्ती थीं और जो 1920 के दशक में छापी गई। 

26 प्रेस की भूमिका बताएँ ।  

उत्तर-प्रेस एक सशक्त माध्यम है, जो समाज को एकजुट रख सकता है। यह देश के एक भाग में होने वाली गतिविधियों को दूसरे भाग की गतिविधियों से जोड़ता है। 

27 प्रिंट के माध्यम से पहले भारत में हस्त लिखित पांडुलिपियाँ कैसे रखी जाती थी? 

उत्तर- विभिन्न भाषाओं की पांडुलिपियों को ताड़ के पत्तों या हाथ से बने कागज पर नकल कर लिया जाता था और फिर उनकी आयु बढ़ाने के उद्देश्य से उन्हें तख्तियों की जिल्द में या सिलकर रख दिया जाता था । 

लघु उत्तरीय प्रश्न | Short answer type question

1 वुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई। कारण दें। 

उत्तर–वुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई इसके कई कारण थे-

(क) 1295 ई० में मार्को पोलो नामक महान खोजी यात्री चीन में काफी सालों तक खोज करने के बाद इटली वापस लौटा। मार्को पोलो चीन के आविष्कारों की जानकारी लेकर इटली आया ।

(ख) 1295 ई० के पूर्व यूरोप वुडब्लॉक प्रिंट की छपाई से अवगत नहीं था। चीन के पास वुडब्लॉक (काठ की तख्ती) वाली छपाई की तकनीक पहले मौजूद थी। मार्को पोलो यह ज्ञान अपने साथ लेकर लौटा।

(ग) वुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 तक नहीं आने का एक मुख्य कारण यह था कि कुलीन वर्ग, पादरी और भिक्षु संघ पुस्तकों की छपाई को धर्म के विरुद्ध मानते थे। मुद्रित किताबों को सस्ती और अश्लील मानते थे। अतः पुस्तकों की छपाई को प्रोत्साहन प्रारम्भ में नहीं मिला।

2. मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की । कारण दें। 

उत्तर-(क) लूथर जर्मनी का एक पादरी था। वह धर्म सुधार आंदोलन के प्रमुख सुधारकों में से एक था। 

(ख) वह स्वयं रोम गया परंतु उसे यह देख कर बहुत दुख हुआ कि पोप और पादरी आध्यात्मिक विषयों से बहुत दूर हैं और सांसारिक विषयों में उलझे पड़े हैं।

(ग) जर्मनी वापस आकर उसने पोप और पादरियों के भ्रष्ट जीवन का भण्डा फोड़ दिया। शीघ्र ही उसने पोप द्वारा बेचे जाने वाले क्षमापत्रों का खुला विरोध करना शुरू कर दिया। उसके प्रयत्नों के फलस्वरूप प्रोटेस्टेंट मत का जन्म तथा विकास हुआ।

(घ) मार्टिन लूथर द्वारा न्यू टेस्टामेंट की 5,000 प्रतिलिपियाँ कुछ सप्ताहों में ही बिक गई और उसका दूसरा संस्करण तीन महीने के अंदर ही अंदर छप गया। तभी प्रसन्न होकर लूथर ने कहा- प्रिंटिंग ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, सबसे बड़ा तोहफा है।”

3 रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी। कारण दें।

उत्तर- (क) मुद्रण तकनीक के विकास के कारण धर्म के क्षेत्र में नई व्याख्याओं के पदार्पण हुआ। कैथोलिक धर्म की बुराइयाँ धीरे-धीरे स्पष्ट रूप से सामने आने लगीं। धर्मगुरुओं ने इसे धर्म के खिलाफ विद्रोह के रूप में लिया।

(ख) छपे हुए लोकप्रिय साहित्य के बल पर कम शिक्षित लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित हुए। इटली के एक किसान मेनोकियो ने ईश्वर और सृष्टि के बारे में ऐसे विचार बनाए कि रोमन कैथोलिक चर्च उससे क्रुद्ध हो गया। उसे मौत की सजा दे दी गई।

(ग) सामान्य लोगों द्वारा धर्म पर उठाए जा रहे सवालों से रोमन चर्च परेशान हो गया। (घ) परिणामस्वरूप रोमन चर्च ने प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं पर पाबंदियों लगाई तथा 1558 ई० से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखनी प्रारम्भ कर दी।

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HistoryPolitical Science
EnglishHindi
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4. महात्मा गाँधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है। कारण दें।

उत्तर- (क) महात्मा गाँधी ने ये शब्द 1922 ई० में असहयोग आंदोलन (1920-22) के मध्य कहे। उनके अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रेस की स्वतंत्रता एवं सामूहिकता की आजादी के बिना कोई भी राष्ट्र जीवित नहीं रह सकता।

(ख) यदि देश को विदेशी उपनिवेशवाद से स्वतंत्र होना है तब ये सभी स्वतंत्रताएँ बड़ी आवश्यक है। राष्ट्रवाद के उत्थान के लिए इन तीन स्वतंत्रताओं का होना अति आवश्यक है।

(ग) अतः गाँधीजी ने जब स्वराज को अपना उद्देश्य घोषित किया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति, प्रेस और संगठन बनाने की स्वतंत्रता को स्वराज का महत्त्वपूर्ण भाग स्वीकार किया। 

(घ) उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि- स्वराज की लड़ाई सबसे पहले इन संकटग्रस्त आजादी की लड़ाई है।

5. गुटेन्बर्ग प्रेस पर टिप्पणी लिखें। 

उत्तर—(क) योहान गुटेन्बर्ग ने आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार 1448 ई० में किया। इसे गुटेन्बर्ग प्रेस के नाम से जाना जाता था। 

(ख) गुटेन्बर्ग रोमन वर्णमाला के सभी 26 अक्षरों की आकृतियाँ बनाई तथा उन्हें इधर-उधर मूव कराकर शब्दों के निर्माण का प्रयास किया। इसी कारण इसे ‘मुवेवल टाइप प्रिंटिंग मशीन के नाम से जाना गया। 

(ग) यही विधि अगले 300 सालों तक छपाई की बुनियादी तकनीक रही। इस मशीन से कम समय में अधिक किताबों का छपना संभव हुआ। गुटेन्बर्ग प्रेस एक घंटे में 250 पन्ने छाप सकता था।

(घ) इसमें छपने वाली पहली पुस्तक बाइबिल थी। तीन वर्षों में उसने बाइबिल की 180 प्रतियाँ छापीं, जो उस समय के हिसाब से काफी तेज थीं। 

6. छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर- छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार- 1450 और 1550 के दौरान, यूरोप के अधिकांश देशों में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित हो चुकी थी। जर्मनी के प्रिंटर अन्य देशों का भ्रमण करते थे, वहाँ होने वाले काम को देखते तथा नई प्रेस स्थापित करने में सहायता करते थे। 

जैसे-जैसे प्रिंटिंग प्रेसों की संख्या बढ़ी, किताबों की छपाई बढ़ने लगी। 15 वीं सदी के दूसरे मध्य में 20 लाख प्रतियाँ छपी पुस्तकों की थी। यूरोप के बाजारों में पुस्तकों की बाढ़ सी आ गई थी। 16 वीं सदी में इनकी संख्या लगभग 2 करोड़ तक पहुँच गई। 

7. वर्नाक्युलर या देसी प्रेस एक्ट पर टिप्पणी लिखें। अथवा, वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट कब लागू किया गया ? औपनिवेशिक सरकार इसे क्यों लागू की ? तीन कारणों का उल्लेख करें।

उत्तर- वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 1878 ई० में लागू किया गया। वर्नाक्यूलर या देसी प्रेस एक्ट- 

(क) 1857 की क्रांति के बाद, प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर दृष्टिकोण में परिवर्तन हो चुका था। गुस्से से भरे अंग्रेजी सरकार का मत था कि स्थानीय प्रेसों पर ताले लगा दिए जाएँ। जैसा कि वर्नाकुलर समाचार पत्र पूर्णत राष्ट्रवादी बन चुका था।

(ख) औपनिवेशिक सरकार इस पर बहस छेड़ दी तथा इस पर नियंत्रण करना प्रारंभ कर दिया। 1878 में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पास कर दिया गया। आयरिश प्रेस लॉ ढाँचे के अनुसार इसे बनाया गया था।

(ग) इसमें सरकार को व्यापक अधिकार दिए गए कि वह रिर्पोट्स तथा संपादकीय (वर्नाकुलर प्रेस की) पर सेंसर लगा सकती है। विभिन्न प्रांतों से प्रकाशित होने वाले स्थानीय भाषाओं के समाचार पत्रों पर सरकार अपनी पूरी नजर रख रही थी।

(घ) जब कोई रिपोर्ट जाँच में आ जाती है कि इसमें विद्रोहात्मक प्रवृति है, तो समाचार पत्र को चेतावनी दी जाती थी। यदि चेतावनी को अनसुना कर दिया जाता था, तो ऐसी दशा में प्रेस पर ताला लगा दिया जाता था तथा उसकी मशीनें जब्त कर ली जाती थीं। 

8 अठारहवीं सदी के यूरोप में कुछ लोगों को क्यों ऐसा लगता था कि मुद्रण संस्कृति से निरंकुशवाद का अंत, और ज्ञानोदय होगा ?

उत्तर- (क) 18वीं सदी के यूरोप में यह विश्वास बन गया था कि किताबों के द्वारा प्रगति और ज्ञानोदय होता है। बहुत सारे लोगों का यह मानना था कि किताबें दुनिया बदल सकती हैं। 

(ख) मुद्रण निरंकुशवाद और आतंकी राजसत्ता में समाज को मुक्ति दिलाकर ऐसा दौर लाएँगी जब विवेक और बुद्धि का राज होगा।

(ग) 18वीं सदी में फ्रांस के एक उपन्यासकार लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए ने घोषणा की कि छापाखाना प्रगति का सबसे बड़ा ताकतवर औजार है और इससे बन रही जनमत की आँधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा। मर्सिए के उपन्यासों में नायक अकसर किताबें पढ़ने में बदल जाते हैं। वे किताबों की दुनिया में जीते हैं और इसी क्रम में ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। 

(घ) ज्ञानोदय को लाने और निरंकुशवाद के आधार को नष्ट करने में छापेखाने की भूमिका के बारे में आश्वस्त मर्सिए ने कहा कि निरंकुशवादी शासक सावधान हो जाएँ क्योंकि अब उनके काँपने का वक्त आ गया है। आभासी लेखक के कलम के जोर के आगे तुम हिल उठोगे । 

9. उन्नीसवीं सदी में भारत में महिलाओं पर मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ ?

उत्तर- (क) 19वीं सदी भारत में मुद्रण संस्कृति के प्रसार का महिलाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ा। महिलाओं के जीवन में परिवर्तन आया। महिलाओं की जिंदगी और उनकी भावनाओं पर गंभीरता से पुस्तकें लिखी गई ।

(ख) मध्यवर्गीय घरों की महिलाएँ पहले से ज्यादा पढ़ने लगीं। 19वीं सदी के मध्य में छोटे-बड़े शहरों में स्कूल बने तो उदारवादी पिता और पति महिलाओं को पढ़ने के लिए भेजने लगे ।

(ग) हिन्दू और मुस्लिम दोनों संप्रदाय की महिलाओं में जागरूकता आई । कट्टर रूढ़िवादी परिवार की राशसुंदरी देवी ने रसोई में छिपकर पढ़ना सीखा और बाद में ‘आमार जीवन नामक आत्मकथा लिखी जो 1876 में प्रकाशित हुई। (घ) पंजाबी, उर्दू, तमिल, बंगाली और मराठी के बाद हिन्दी छपाई 1870 के दशक में शुरू हुई। बीसवीं सदी तक महिलाओं के लिए मुद्रित और कभी-कभी संपादित पत्रिकाएँ लोकप्रिय हो गई। इस परिवर्तन के बाद महिलाएँ फुर्सत के समय मनपसंद किताबें पढ़ने लगी थीं। 

10 उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ ?

उत्तर-उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का निम्नांकित असर हुआ-

(क) भारत के शहरों में काफी सस्ती किताबें चौक-चौराहों पर बेची जाने लगी थीं, जिसके कारण गरीब लोग भी बाजार से उन्हें खरीदने लगे।

(ख) उन्नीसवीं सदी के अंत तक जाति भेद के बारे में तरह-तरह की पुस्तिकाओं और निबंधों में लिखा जाने लगा था। (ग) ‘’निम्न-जातीय’ आंदोलनों में मराठी प्रणेता ज्योतिबा फुले ने अपनी “गुलामगिरी” (1871) में जाति प्रथा के अत्याचारों पर लिखा। 

(घ) ऊँच-नीच, जात-पात एवं धर्म पर लिखे जाने वाले लेख अब भारत की गरीब जनता पढ़ने लगी। परिणामस्वरूप स्थानीय विरोध आंदोलनों और संप्रदायों ने भी प्राचीन धर्मग्रंथों की आलोचना करते हुए एक नए और न्यायपूर्ण समाज का सपना बुनने लगे। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न | Long answer type question

1 उन्नीसवीं सदी में भारत में सुधारक पर मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ ? 

उत्तर—(क) औपनिवेशिक समाज में विभिन्न तरीकों से समूहों में टकराव हो रहा था। पैदा हो रहे थे। विभिन्न धर्मों में तरह-तरह के विश्वासों के स्पष्टीकरण को लेकर मतभेद थे। 

(ख) कुछ लोग प्रचलित कर्मकाण्डों की निंदा कर रहे थे तथा इनमें सुधार के लिए आंदोलन चला रहे थे, जबकि दूसरे सुधारकों के तकों पर प्रहार कर रहे थे।

(ग) इस तरह की बहस लोगों में तथा प्रेस में छिड़ी हुई थी। प्रिंटेड समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में केवल नए विचारों का प्रसार ही नहीं होता था, बल्कि वे उलझे हुए विचारों को सही ढंग से छापते थे। 

(घ) बड़े पैमाने पर अब लोग इन स्थानों पर जाकर बहस में भाग लेकर अपनी मनोभावनाएँ व्यक्त करते थे। इस तरह के मतभेदों से कई बार नए विचार उभर कर सामने आते थे।

2 कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिंतित क्यों थे ? यूरोप और भारत से एक-एक उदाहरण लेकर समझाएँ ।

उत्तर- मुद्रित किताबों को लेकर कुछ लोग खुश नहीं थे। जिन लोगों ने इसका स्वागत किया था उनके मन में भी कई तरह का डर था। कई लोगों को छपी किताब के व्यापक प्रसार और छपे शब्द की सुगमता को लेकर कई आशंकाएँ थीं कि न जाने इसका आम लोगों के जीवन पर क्या असर होगा।

किताबों की सुलभता के प्रति चिंतित वर्ग का मानना था कि किताबों से लोगों। में बागी और अधार्मिक विचार पनपने लगेंगे तथा मूल्यवान साहित्य की सत्ता समाप्त हो जाएगी। इस वर्ग में धर्मगुरु, सम्राट, लेखक और कलाकार आदि शामिल थे।

यह किताबों की सुलभता का ही परिणाम था कि सामान्य लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित हुए। इससे ईसाई धर्म में प्रोटेस्टेंट विचारधारा का उदय हुआ। जिसे कैथोलिक शाखा ने चुनौती के रूप में देखा। धर्मगुरु इसे ‘धर्म विरोधी मानते थे।

ज्यों ही बाइबिल, ईश्वर और सृष्टि के नए अर्थ सामने आए धर्मगुरुओं के कान खड़े हो गए। प्रकाशकों पर पाबंदी लगाई गई पुस्तकों को प्रतिबंधित किया गया तथा लेखकों को धर्म की सुरक्षा’ के नाम पर मौत की सजा दी गई। भारत में ब्रिटिश शासन ने पुस्तकों को ब्रिटिश राज के खिलाफ एक गंभीर चुनौती के रूप में देखा अंग्रेजों का यह मानना था कि पुस्तकें, ब्रिटिश विरोधी विचारों को जन्म देगी। अतः पुस्तकों के मुद्रण एवं वितरण पर पाबंदियों लगाई गई।

3 मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की ?

उत्तर- मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में निम्नांकित प्रकार से मदद की-

(क) मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के उदय और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

(ख) यह एक शक्तिशाली माध्यम बन गया जिससे राष्ट्रवादी भारतीय देशभक्ति की भावनाओं का प्रसार, आधुनिक आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक विचारों का प्रचार तथा जनसाधारण में जागृति का विकास हुआ। 

(ग) प्रेस के माध्यम से राष्ट्रवादियों के लिए अपने विचारों को जन-जन तक पहुँचाना आसान हो गया। 

(घ) मुद्रण ने जनसाधारण को स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व समर्पण करने की प्रेरणा दी। बंकिमचंद्र चटर्जी का उपन्यास आनंदमठ जिसे आधुनिक बंगाली देशभक्ति का बाइबिल कहा जाता है और उनका गीत वंदे मातरम्’ भारत के जन-जन के लिए स्वाधीनता एवं देशभक्ति का स्रोत बन गया। अतः मुद्रण संस्कृति के विकास ने भारतीयों के आत्मगौरव और देशप्रेम को जागृत करके उन्हें स्वाधीनता के मार्ग की ओर अग्रसर किया। 

4 छपाई से विरोधी विचारों के प्रसार को किस तरह बल मिलता था ? संक्षेप में लिखखें। अथवा कुछ लोग क्यों डरते थे कि छपाई से विरोधी विचारों का प्रसार होगा ? वर्णन करें। 

उत्तर- (क) छापेखाने से विचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार और बहस मुबाहिसे के द्वार खुले स्थापित सत्ता के विचारों से असहमत होने वाले लोग भी अब अपने

(ख) अगर छपे हुए और पढ़े जा रहे पर कोई नियंत्रण न होगा तो लोगों में बागी और अधार्मिक विचार पनपने लगते हैं। 

(ग) मार्टिन लूथर ने रोमन कैथलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी पन्चानबे स्थापनाएँ लिखीं। चर्च को शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दी गयी थी। इसके नतीजे में चर्च में विभाजन हो गया।

(घ) छपे हुए लोकप्रिय साहित्य के बल पर कम शिक्षित लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित हुए। इटली के एक किसान मेनोकियो ने ईश्वर और सृष्टि के बारे में ऐसे विचार बनाये कि रोमन कैथोलिक चर्च उससे क्रुद्ध हो गया।

5 प्रिंटिंग प्रेस का किसने आविष्कार किया ? कौन-सी पहली पुस्तक प्रकाशित की गई ? प्रारंभ में प्रकाशित करने का कैसा तरीका था ?

उत्तर-एक जर्मन नागरिक जॉन गुटन्वर्ग ने छपाई मशीन का आविष्कार किया। उसने पहली पुस्तक ‘बाइबिल’ प्रकाशित की थी। यह मेड़ की खाल पर छापी गई थी। उसने अक्षर राँगे को ढाल कर बनाए थे। ये अक्षर जोड़कर शब्द तथा शब्द जोड़कर वाक्य बनाए। एक लकड़ी के फ्रेम में इन वाक्यों को जोड़कर रखा गया। इस तरह से एक पृष्ठ तैयार हो जाता था। इन टाइप के अक्षरों पर स्याही लगाकर उस फ्रेम को कागज पर उल्टा हाथ से दबा कर रख दिया जाता था। इस तरह से एक-एक करके पृष्ठ बनाए जाते थे। इस तरह से धीरे-धीरे पृष्ठों को जोड़कर पुस्तक तैयार की जाती थी। 

6 कुछ इतिहासकार ऐसा क्यों मानते हैं कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रांति के लिए जमीन तैयार की ? 

उत्तर—(क) छपाई के ज्ञानोदय से बॉल्टेयर और रूसी जैसे चिंतकों के विचारों का प्रसार हुआ।

(ख) उन्होंने परम्परा, अंधविश्वास और निरंकुशवाद की आलोचना की। उन्होंने तार्किकता का प्रचार-प्रसार किया। इसने लोगों को राजशाही के विद्रोह हेतु प्रेरित किया।

(ग) मुद्रण के सारे पुराने मूल्यों, संस्थाओं और कायदों पर आम जनता के बीच तथा धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श का मार्ग प्रशस्त किया।

(घ) कार्टूनों और कैरिकेचरों (व्यंग्य चित्रों) में यह भाव उभरता था कि जनता तो मुश्किल में फँसी है जबकि राजशाही भोग-विलास में डूबी हुई है। इसने क्रांति की ज्वाला भी भड़कायी ।


कक्षा 10 इतिहास समाधान | class 10 history solution

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FAQs

1 प्रिंटिंग प्रेस से क्या लाभ हुए हैं ?

उत्तर- (क) इसके द्वारा एक बड़ी मात्रा में पुस्तकें तैयार करना आसान हो गया। 
(ख) पुस्तकों के आसानी से मिलने के परिणामस्वरूप जहाँ ज्ञान की वृद्धि हुई वहाँ पाठकों की गिनती भी कई गुणा बढ़ गई। 

2. 19 वीं सदी के दूसरे आदि शतक में प्रारंभ होने वाले कुछ अंग्रेजी अखबारों के नाम लिखें।

उत्तर-भारत के प्रसिद्ध समाचार पत्र थे- द टाईम्स ऑफ इंडिया (1861), द पॉइनियर (1865), द मद्रास मेल (1865), द स्टेटस मैन (1875) थे समाचार पत्र ब्रिटिश सरकार की नीतियों के समर्थक थे। 

3.भारतीय प्रेस पर क्या अंकुश लगाए गए ?

उत्तर- 1878 ई० में पास होने वाले वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट द्वारा भारतीय भाषाओं में छपने वाले प्रेस वालों को चेतावनी दी गई कि अगर उनके अखबार में पब्लिक को भड़काने वाली कोई खबर छापी गई तो पहले उसे चेतावनी दी जाएगी और उसके बाद उस अखबार को बन्द किया जा सकता है। 

4.पांडुलिपियाँ में कौन-सी दो मुख्य कमियाँ पाई जाती है ? 

उत्तर-(क) पांडुलिपियों को तैयार करना बहुत खर्चीला, अधिक समय लेने वाला तथा अधिक परिश्रम से तैयार होने वाला होता है। बड़ी कठिनाई होती है। 

5.मैक्सिम गोर्की कौन था ? उसकी एक साहित्यिक रचना का नाम लिखें। 

उत्तर- मैक्सिम गोर्की एक क्रांतिकारी रूसी लेखक था। उसकी एक प्रसिद्ध रचना का नाम है- “मेरा बचपन और मेरे विश्वविद्यालय । इस पुस्तक में गोर्की ने अपने बचपन के संघर्षो का वर्णन किया जो एक गरीब बच्चे को प्रायः भुगतना पड़ है।

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