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NCERT Solutions Class 10 Economics Chapter 4 Notes In Hindi
कक्षा | Class | 10th |
अध्याय | Chapter | 04 |
अध्याय का नाम | Chapter Name | वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था |
बोर्ड | Board | सभी हिंदी बोर्ड |
किताब | Book | एनसीईआरटी | NCERT |
विषय | Subject | अर्थशास्त्र | Economics |
मध्यम | Medium | हिंदी | HINDI |
अध्ययन सामग्री | Study Materials | वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर | MCQs |
Very short answer type questions
1 वैश्वीकरण से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- वैश्वीकरण का अर्थ है हमारी अर्थव्यवस्था को संसार की अन्य अर्थव्यवस्थाओं से विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश द्वारा जोड़ना। इस कार्य में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जब वे अपनी इकाइयाँ संसार के अनेक देशों में स्थापित करती हैं।
2 उदारीकरण से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- सरकार द्वारा अवरोधक अथवा प्रतिबन्धों को हटाने की प्रक्रिया को उदारीकरण कहा जाता है।
3 विदेश व्यापार के उदारीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- विदेश व्यापार और विदेशी निवेश पर सरकार द्वारा निर्धारित अवरोधकों एवं प्रतिबन्धों को हटाने की प्रक्रिया ही विदेश व्यापार का उदारीकरण कहलाता है।
4 बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किन्हें कहा जाता है ?
उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनी वह है जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर स्वामित्व या नियन्त्रण रखती है।
5 बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कहाँ अपने कार्यालय स्थापित करती है ?
उत्तर- वे ऐसे प्रदेशों में अपने कार्यालय तथा कारखाने खोलती हैं जिन्हें उन्हें सस्ता श्रम और संसाधन मिलने की सम्भावना होती है।
6 निवेश किसे कहते हैं ?
उत्तर- भूमि, भवन, मशीनें और अन्य उपकरणों आदि परिसम्पत्तियों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते हैं।
7 कंटेनरों से क्या लाभ रहा है ?
उत्तर- कंटेनरों के कारण जहाँ दुलाई लागत में भारी बचत हुई है वहीं तक पहुँचाने की गति में भी काफी वृद्धि हुई है।
8 इंटरनेट से क्या लाभ रहा है ?
उत्तर- इंटरनेट द्वारा आप सभी प्रकार की जानकारियाँ, जिन्हें आप जानना चाहते हैं.
9.आप एकदम प्राप्त कर सकते हैं। व्यापार अवरोधक से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- व्यापार अवरोधक सरकार के हाथ में एक हथकण्डा होता है जिसका प्रयोग करके वह आयात और निर्यात में संतुलन बनाए रख सकती है।
10 व्यापार अवरोधक से क्या लाभ है ?
उत्तर- इसके द्वारा कोई भी सरकार अपने नव-विकसित उद्योगों को विश्व की प्रतिस्पर्धा से बचा सकती है।
11 फोर्ड मोटर्स नामक फर्म भारत में कब आई ?
उत्तर- 1995 ई० को ।
12 वैश्वीकरण को सम्भव बनाने वाले कौन-से कारण हैं ?
उत्तर- (क) प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति ।
(ख) व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण ।
(ग) विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का सहयोग |
(घ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विभिन्न देशों में अपनी इकाइयों स्थापित करना आदि। |
13 विश्व व्यापार संगठन क्या है और यह कब और क्यों स्थापित किया गया ?
उत्तर- विश्व व्यापार संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो सदस्य राष्ट्रों के बीच व्यापार संबंधी नियमों को संचालित करता है। इसकी स्थापना 1 जनवरी,
1995 ई० में की गई। इसका मुख्यालय जेनेवा में है।
14 विश्व व्यापार संगठन के दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर- विश्व व्यापार संगठन के दो उद्देश्य-
(क) विश्व व्यापार संगठन की स्थापना में संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए की गई। इसका मुख्यालय, स्विटजरलैंड, जेनेवा में हैं।
(ख) विश्व व्यापार संगठन देशों के बीच व्यापार के समान रूप से विकास में मदद करता है।
15 WTO के दो कार्य लिखें।
उत्तर- (क) WTO के व्यापार समझौतों को कार्यान्वित करना। (ख) देशों के बीच व्यापार संबंधित बातचीत के मंच के रूप में कार्य करना।
16 विदेशी व्यापार का बुनियादी उद्देश्य क्या होता है ?
उत्तर-इसका बुनियादी या मुख्य उद्देश्य यह होता है कि वह अपने देश के उत्पादकों को दूसरे देशों में पहुँचाने के अवसर प्रदान करे।
17 भारत के बाजार में चीनी खिलौने क्यों बिक जाते हैं ?
उत्तर-क्योंकि एक तो उनके दाम सस्ते होते हैं और दूसरे उनके डिजाइन नवीन होते हैं।
18 चीनी खिलौनों का भारतीय खिलौना निर्माताओं पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर- भारतीय खिलौना निर्माताओं को हानि होती है क्योंकि भारतीय खिलौने कम बिकते हैं।
19 भारतीय सरकार ने विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर लगे अवरोधकों को क्यों दूर करने की सोची ?
उत्तर- 1991 में भारतीय सरकार ने यह सोचा कि अब वह समय आ गया है जब भारतीय उत्पादक विश्व के उत्पादकों की प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने लायक हो गया है।
Short answer type questions
1″वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ? अपने शब्दों में स्पष्ट करें।
उत्तर- वैश्वीकरण का अर्थ होता है कि घरेलू बाजार को विश्व बाजार के साथ व्यापार, पूँजी, तकनीक, श्रम एवं सेवाओं के मुक्त प्रवाह के साथ जोड़ना या समन्वय करना। इसका घनिष्ठ संबंध उदारीकरण तथा निजीकरण की नीतियों के साथ है।
वैश्वीकरण की अवधारणा निम्नांकित तथ्यों पर निर्भर करती हैं-
(i) विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का मुक्त प्रवाह,
(ii) विदेशी निवेश अथवा पूँजी का मुक्त प्रवाह,
(iii) टेक्नोलॉजी का मुक्त प्रवाह,
(iv) विश्व के विभिन्न देशों के बीच श्रम का मुक्त प्रवाह
1991 ई० की नयी आर्थिक नीति के बनने के बाद भारत में वैश्वीकरण को प्रोत्साहन मिला है।
2 भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे ? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी ?
उत्तर- विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर भारतीय सरकार द्वारा अवरोधक लगाए जाने के कारण निम्नांकित हैं-
(क) ऐसा इसलिए किया गया ताकि विदेशी स्पर्धा से देश के उत्पादकों को संरक्षण प्रदान किया जाए।
(ख) प्रतिस्पर्धा से भारत के नव-उदित उद्योग ठप पड़ सकते थे।
(ग) ऐसे में यही उचित समझा गया कि केवल उन्हीं वस्तुओं का आयात किया जाए जिनके बिना काम चलना कठिन है और जो बिल्कुल अनिवार्य है। जैसे- मशीनरी, उर्वरक, पेट्रोलियम आदि।
भारतीय सरकार द्वारा अवरोधकों को हटाने के निम्नांकित कारण हैं-
(क) भारतीय सरकार ने सोचा कि वह समय आ गया जब भारतीय उद्योगपति प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने में सक्षम हो चुके हैं।
(ख) इस प्रतिस्पर्धा के कारण भारतीय उत्पादक अपने माल में सुधार करने का प्रयत्न करेंगे ताकि उनका माल विदेशों में बड़ी मात्रा में बिक सके।
(ग) एक स्वच्छ प्रतिस्पर्धा चीजों की गुणवत्ता बढ़ाने में बड़ी सहायक सिद्ध होगी। इन बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सरकार ने 1991 से धीरे-धीरे आयात पर लगे हुए बहुत से प्रतिबन्धों को हटाना शुरू कर दिया। इससे यह लाभ हुआ कि भारत में अनेक अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने अपना निवेश करना शुरू कर दिया और भारतीय खरीदार को भी विभिन्न प्रकार का सामान आसानी और सस्ते दामों में मिलने लगा।
3.श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों की कैसे मदद करेगा ?
उत्तर-श्रम कानूनों में लचीलापन अनेक प्रकार से कंपनियों की मदद करेगा, इसी आशा से भारतीय सरकार ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को श्रम कानूनों में कई रियायतें दी हैं-
(क) संगठित क्षेत्र की कंपनियों को श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए अनेक नियमों का पालन करना पड़ता है परन्तु हाल के वर्षों में इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अनेक नियमों में छूट की अनुमति दे दी है।
(ख) दूसरे, श्रम लागत को कम करने के उद्देश्य से बहुराष्ट्रीय कंपनियों को छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को नियुक्त करने की भी अनुमति दे दी है। काम के दबाव कम होते ही ये कंपनियों ऐसे अस्थायी सदस्यों की छंटनी भी कर सकती हैं।
श्रम कानूनों में आए लचीलेपन के कारण बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपना कारोबार शुरू कर दिया है और बहुत सी ऐसा करने जा रही हैं।
4.”वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है। इस कथन को अपने शब्दों में व्याख्या करें।
उत्तर- उपभोक्ताओं उत्पादों एवं श्रमिकों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान नहीं है। इसके कुछ प्रभाव धनात्मक हैं तथा कुछ ऋणात्मक हैं। धनात्मक प्रभाव-
(क) शहरी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं पर इसका प्रभाव लाभप्रद होता है।
(ख) कुशल एवं प्रशिक्षित श्रमिकों पर भी इसका प्रभाव धनात्मक होता है।
(ग) बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कच्चे माल की आपूर्ति करने से स्थानीय कंपनियों समृद्ध हुई हैं।
(घ) सूचना प्रोद्योगिकी, डाटा एन्ट्री, लेखांकन, प्रशासनिक कार्य और इंजीनियरिंग सेवाएँ इससे लाभान्वित हुई हैं।
ऋणात्मक प्रभाव-
(क) छोटे विनिर्माताओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
(ख) कई छोटी इकाइयाँ बंद हो गई हैं जिससे वहाँ काम करने वाले बहुत से श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।
(ग) छोटे एवं कुटीर उद्योग धन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
5 वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा देशों को परस्पर संबंधित किया जा सकता है ?
उत्तर—
(क) व्यापार,
(ख) विभिन्न राष्ट्रों के मध्य पूँजी की गतिशीलता,
(ग) विभिन्न प्रकार की सेवाओं का विस्तार,
(घ) अन्य देशों से पूँजी और पूँजी निवेश का प्रत्येक राष्ट्र द्वारा स्वागत करना। प्रत्येक राष्ट्र द्वारा नवीनतम प्रौद्योगिकी का लेन-देन,
(ङ) वस्तुओं, सेवाओं, निवेशों और प्रौद्योगिकी के अतिरिक्त विभिन्न देशों को आपस में जोड़ने का एक अन्य माध्यम हो सकता है। यह माध्यम है विभिन्न देशों के बीच लोगों का आवागमन। प्रायः लोग बेहतर आय, बेहतर रोजगार एवं शिक्षा की तलाश में एक देश से दूसरे देश में आवागमन करते हैं, किन्तु विगत कुछ दशकों में अनेक प्रतिबन्धों के कारण विभिन्न देशों के बीच लोगों के आवागमन में अधिक वृद्धि नहीं हुई है।
6 वस्तु उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों और विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा ने किस प्रकार प्रभावित किया है ?
उत्तर- वस्त्र उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों तथा विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा ने निम्न प्रकार से प्रभावित किया है-
श्रमिक वस्त्र उद्योग के अकुशल श्रमिकों को रोजगार के अवसर नहीं मिलते हैं जिससे कुशल श्रमिकों के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा होती है। अकुशल श्रमिकों को स्थाई रोजगार नहीं मिलता है। भारतीय निर्यातकों की वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता उत्तम नहीं होती है जिससे विदेशी बाजारों में कम मूल्यों पर उन्हें बेचना पड़ता है।
इससे भारतीय निर्यातकों को आर्थिक नुकसान होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच उत्पादन लागत कम करने के लिए जबरदस्त प्रतिस्पर्धा होती है। यदि लागत में वृद्धि हो गई तो अधिकतम लाभ अर्जित करने की संभावना समाप्त हो जाती है।
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7 वैश्वीकरण प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की क्या भूमिका है ?
उत्तर- (क) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ प्रायः विश्व में ऐसे स्थानों की तलाश में रहती है जहाँ उनके उत्पादन की लागत कम हो ताकि अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सके।
(ख) विभिन्न देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही विभिन्न देशों के बीच विदेश व्यापार में भी वृद्धि हुई है।
(ग) विदेश व्यापार का एक बड़ा भाग बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा नियंत्रित एवं संचालित होता है।
(घ) इस प्रकार, बहुराष्ट्रीय कंपनियों विभिन्न देशों के बीच संबंधों को तेजी से बढ़ा रही है। साथ ही, विभिन्न देशों के बाजारों एवं उत्पादनों का भी तेजी से एकीकरण हो रहा है।
अतः कहा जा सकता है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों वैश्वीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
8.विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में किस करता है। अपने शब्दों में व्याख्या करें।
अथवा, विदेशी व्यापार का क्या लाभ होता है ?
उत्तर-इस बात में कोई भी शक नहीं कि विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में बड़ी मदद करता है। यह निम्नांकित ढंग से होता है-
(क) विदेशी व्यापार के कारण एक देश का उत्पादक वर्ग अपना माल दूर-दूर के देशों में बिक्री के लिए भेज सकता है।
(ख) यदि उनका माल अच्छा और सस्ता हो तो विश्व के बाजार में उनके माल की माँग कई गुणा बढ़ सकती है और उनके नाम में भी चार चाँद लग जाते हैं।
(ग) विदेशी व्यापार के परिणामस्वरूप ब्लैक-मार्केट या काला बाजार का डर नहीं रहता क्योंकि विश्व के बाजार में चीजें खुले आम मिलने लगती है।
(घ) ग्राहकों को विदेशी व्यापार के कारण सबसे अधिक लाभ होता है। अब उन्हें विभिन्न प्रकार की चीजें उनके अपने देश में ही उपलब्ध होने लगती हैं तो उन्हें माल अच्छा और सस्ता मिलने लगता है।
9.सूचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से कैसे जुड़ी हुई है ? क्या सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के बिना वैश्वीकरण संभव होता ?
उत्तर- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी अर्थात् दूरसंचार कम्प्यूटर, इंटरनेट के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास ने विश्व भर में एक-दूसरे से संपर्क करने, सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों से संवाद को आसान बना दिया है। इनसे कम लागतों पर दूरवर्ती क्षेत्रों में तीव्रतर सेवाएँ प्रदान करना संभव हुआ है। इस प्रकार, सूचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से जुड़ी हुई है।
नहीं, वैश्वीकरण सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के बिना संभव नहीं होता।
10 उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीति अपनाने के फलस्वरूप भारत में आए परिवर्तनों का वर्णन करें।
उत्तर- उदारीकरण और वैश्वीकरण के कारण होने वाले परिवर्तन-
(क) वस्तुओं तथा सेवाओं के निर्यात में वृद्धि- उदारीकरण और वैश्वीकरण को अपनाने के उपरांत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के योगदान में वृद्धि पाई गई। उदारीकरण अपनाने से भारत के निर्यात में वृद्धि हो गई।
(ख) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश जो 1991 ई० में 174 करोड़ रुपए था। सन् 2000 में 9338 करोड़ रुपए हो गया।
(ग) विदेश विनिमय में वृद्धि – हमारा विदेशी विनिमय जो 1991 ई० में 4822 करोड रुपए था। सन् 2000 में 1,52,924 करोड़ रुपए हो गया।
(घ) कीमतों में कमी- 1990-91 ई० में भारत में 12% की दर से कीमतों में वृद्धि पाई गई जो बाद में केवल 5% रह गई।
(ङ) रोजगार अवसरों में वृद्धि करने में विफलता- नई आर्थिक नीति रोजगार के नए अवसर प्रदान करने में विफल रही।
(च) औद्योगिक उन्नति में सीमांत वृद्धि- उदारीकरण और वैश्वीकरण के अपनाने के उपरांत औद्योगिक उन्नति में सीमांत वृद्धि पाई गई।
11 प्रतिस्पर्धा से भारत के लोगों को कैसे लाभ हुआ है ? अथवा वैश्वीकरण और उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।” इस कथन के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर- वैश्वीकरण और अधिक प्रतिस्पर्धा ने भारत में लोगों को निम्न प्रकार से लाभान्वित किया है-
(क) उपभोक्ताओं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में रह रहे धनी वर्ग के उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं। वे अब अनेक वस्तुओं की उत्कृष्टता, गुणवत्ता और कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामतः ये लोग पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन स्तर का उपभोग कर रहे हैं।
(ख) इन उद्योगों को कच्चे माल आदि की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कंपनियों का विकास हुआ है।
(ग) कुछ बड़ी भारतीय कंपनियाँ अपने काम-काज को विश्व भर में फैलाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरी है। उदाहरण के लिए, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, रैनबैक्सी आदि।
(घ) वैश्वीकरण एवं प्रतिस्पर्धा से सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए नए अवसरों का सृजन हुआ है।
12 सरकारें अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास क्यों करती हैं ?
उत्तर-सरकारें निम्नांकित कारणों से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास करती हैं-
(क) विदेशी निवेश से देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
(ख) इससे उत्पादन में न केवल वित्त बल्कि प्रबंधकीय एवं तकनीकी विशेषज्ञ तथा नई प्रौद्योगिकी भी प्राप्त होती है।
(ग) यह स्थानीय कंपनियों को परिवहन एवं प्रशिक्षण एजेंटों जैसी सहायक सेवाओं में अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित करती हैं। साथ ही, यह विदेशी कंपनियों के साथ सहयोग को भी प्रेरित करती हैं।
(घ) विदेशी निवेश से प्राप्त लाभों का एक भाग सामान्यतः संबंधित उद्योगों के विस्तार एवं आधुनिकीकरण में निवेश किया जाता है।
(ङ) विदेशी निवेश से प्राप्त सामाजिक प्रतिफल उनसे प्राप्त निजी प्रतिफलों की अपेक्षा अधिक होते हैं।
(च) सरकारें विदेशी फर्मों के लाभ पर कर लागाकर एवं रियायत समझौतों से रॉयल्टी द्वारा राजस्व प्राप्त करती हैं।
13 बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, अन्य कंपनियों से किस प्रकार अलग है ?
उत्तर-बहुराष्ट्रीय कंपनी किसी अन्य कंपनी से निम्न प्रकार से भिन्न होती हैं-
बहुराष्ट्रीय कंपनी | अन्य कंपनी |
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(a) यह एक देश के भीतर ही उत्पादन का स्वामित्व या नियंत्रण रखती है। | (a) यह एक से अधिक देशों में उत्पादन का स्वामित्व या नियंत्रण रखती है। |
(b) यह उन देशों में उत्पादन हेतु कारखाने या कार्यालय स्थापित करती है जहाँ इसे श्रम एवं अन्य संसाधन सस्ते मिलते हैं। | (b) इसके पास ऐसा कोई विकल्प नहीं होता है। |
(c) चूँकि बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए उत्पादन की लागत कम होती है, इसीलिए यह अधिक लाभ कमाती है। | (c) इसके पास अधिक लाभ कमाने के लिए ऐसी कोई संभावना नहीं होती। है। |
14 विदेश व्यापार तथा विदेशी निवेश में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा परिसंपत्तियों, जैसे- भूमि, भवन, मशीन तथा अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को विदेशी निवेश कहा जाता है। इसके विपरीत विदेशी व्यापार वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत उत्पादित माल को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विक्रय के लिए पहुँचाया जाता है।
Long answer type questions
1.दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किस प्रकार उत्पादन या उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती हैं ?
उत्तर- दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अनेक प्रकार से अपना उत्पादन स्थापित करती हैं या उत्पादन पर नियंत्रण रखती है-
(क) वे ऐसे स्थानों पर अपने उत्पादन केन्द्र स्थापित करती हैं जो बाजार के बिल्कुल निकट होती है।
(ख) वे ऐसे स्थानों को चुनती हैं जहाँ उन्हें विभिन्न प्रकार के कारीगर और मजदूर आसानी से मिल जाए।
(ग) वे ऐसे स्थानों में अपने केन्द्र स्थापित करेंगी जहाँ उन्हें उत्पादन के अन्य साधन या कारक भी आसानी से उपलब्ध हो जाए। जैसे- अच्छी सड़कें, बिजली आदि ।
(घ) वे ऐसे स्थानों या राज्यों में अपने निर्माण केन्द्र खोलेंगे जहाँ की स्थानीय सरकारें उनके हितों को ध्यान में रखने का आश्वासन देंगी।
(ङ) कई बार बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों से मिलकर काम शुरू कर देती हैं ताकि उन्हें योग्य और राजुरबेकार साथी मिल सके।
(च) कई बार बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कुछ स्थानीय कंपनियों को खरीद लेती है ताकि काम को बढ़ावा देने में आसानी हो ।
(छ) कई बार ये बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसी भी वस्तु के निर्माण में काम आने वाले विभिन्न कल-पुर्जे स्थानीय औद्योगिक इकाइयों से तैयार करवा लेंगी और
उन्हें जोड़कर मोटरकार आदि तैयार करने का काम स्वयं सम्भाल लेंगी। इस प्रकार समय और परिस्थितियों के अनुसार बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अलग-अलग ढंग अपना कर अपनी निर्माण इकाइयाँ स्थापित कर लेंगी यदि उनका लाभ कमाने का ध्येय पूरा हो जाए।
2.व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में सहायता कैसे पहुँचाती हैं ? अथवा, भारत सरकार द्वारा अपनाए गए विभिन्न उदारीकरण के उपायों की व्याख्या करें।
उत्तर – व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में निम्नांकित प्रकार से सहायता पहुँचाती है-
(क) अनेक औद्योगिक कार्यक्रम जिन्हें पहले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम चलाते थे उन्हें अब निजी क्षेत्र के लिए भी खोल दिया गया है।
(ख) पहले बहुत सी ऐसी वस्तुएँ, जिन्हें यद्यपि निजी क्षेत्र को बनाने की अनुमति थी, तथापि ऐसी चीजों के उत्पादन के लिए सरकार से अनुमति लेना आवश्यक होता था। अब इस प्रक्रिया को काफी हद तक समाप्त कर दिया गया।
(ग) सार्वजनिक क्षेत्र के लिए छोड़े गए उद्यमों की संख्या 17 से घटाकर 3 कर दी गई।
(घ) अब निजी क्षेत्र को मूल उद्योगों में प्रवेश करने की भी अनुमति दे दी गई। ऐसे कुछ मूल उद्योग इस प्रकार हैं- लोहा और इस्पात, वायु परिवहन, बिजली, जहाज निर्माण, रक्षा सम्बन्धी सामग्री और भारी मशीनें आदि।
(ङ) उदारीकरण के परिणामस्वरूप उद्योगपतियों को उत्पादन करने के लिए अनेक सुविधाएँ दी गई और अनेक अनौपचारिकताओं को पहले से कहीं अधिक सरल कर दिया गया।
(च) आयात-निर्यात पर लगी बहुत सी प्रतिस्पर्धाओं को हटा दिया गया जिससे भारतीयों को अपना माल बाहर भेजना आसान हो गया।
इस प्रकार अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी आमन्त्रित किया गया कि वे भारत में निवेश करें। उनके लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाए गए और उन्हें श्रम कानूनों में भी परिवर्तन करने की अनुमति दे दी गई।
3 विकसित देश, विकासशील देशों में उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण क्यों चाहते हैं ? क्या आप मानते हैं कि विकासशील देशों को भी बदले में ऐसी माँग करनी चाहिए ?
अथवा, वैश्वीकरण भविष्य में भी जारी रहेगा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज से बीस वर्ष बाद विश्व कैसा होगा ? अपने उत्तर का कारण दें।
उत्तर- इस बात में संदेह नहीं कि वैश्वीकरण के प्रभाव समान नहीं है। जहाँ इसने विकसित देशों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, बड़े-बड़े उद्योगपतियों, कुशल, शिक्षित और धनी उत्पादकों और धनी उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाया है। वहाँ इसने छोटे उद्योगपतियों, सुशीला जैसे श्रमिकों, विकासशील देश को निसन्देह काफी हानि
पहुँचाई है। कईयों को कारखाने बन्द करने पड़े, कईयों की स्थायी नौकरी जाती रही और कई देश विकसित देशों की प्रतिस्पर्धा का शिकार हो गए।
कुछ विकसित देशों ने उल्टे-सीधे हथकण्डे अपनाकर विदेशी माल के आयात पर अंकुश लगा दिया। यू० एस० द्वारा अपने जमींदारों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें सस्ता अनाज बेचने योग्य बनाया ताकि विदेशों से आया हुआ अनाज वहाँ सस्ता न बिक सके।
विकसित देशों की ऐसी नीतियों से विकासशील देशों के निर्यात को हानि पहुँची। कुछ लोग वैश्वीकरण के बहुत विरुद्ध हैं। उनका कहना है कि वैश्वीकरण से
हमारे देश के विकास को बड़ी क्षति पहुँचाई है। परन्तु यदि हम गौर से देखें तो हमें विश्व के साथ चलना होगा। अकेले अब रहना असम्भव है, इसलिए वैश्वीकरण में कुछ सुधार करके हमें इसे अपनाना ही बेहतर होगा। ‘ अब जब वैश्वीकरण एक सतत विकल्प बन चुका है, इसे अधिक न्यायसंगत बनाने की आवश्यकता है।
भारत जैसे विकासशील देशों की सरकारों को अपने उद्योगपतियों को औद्योगिकी में सुधार करके, उन्हें सस्ते दामों पर ऋण देकर बेहतर बिजली आदि की सुविधाएँ देकर विदेशी प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना चाहिए ।
प्रत्येक देश की सरकारें न्यायसंगत नियमों के लिए विश्व व्यापार संगठन से अपने पक्ष में समझौते भी कर सकती है।
विकासशील देशों की सरकारें जब तक उचित समझें व्यापार और उद्योगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक अवरोधकों का प्रयोग कर सकती है।
विकासशील देशों से विकसित देशों पर दबाव डालना चाहिए कि वे अपने व्यापार और निवेश का उदारीकरण करें यदि ये देश मिलकर चलें तो वे विकसित देशों पर उचित दबाव डाल सकते हैं और अपनी उचित माँगों को मनवा सकते हैं। हाल के वर्षों में उन्हें इस दिशा में काफी सफलता भी मिली है ।
FAQs
Q.प्रतिस्पर्धा से छोटे उत्पादकों को बचाने के लिए सरकार क्या कुछ कर सकती है ?
उत्तर-सरकार छोटे उत्पादकों को सस्ते दामों पर ऋण देकर, उनकी वस्तुओं की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायता देकर उन्हें प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर सकती है ।
Q.वैश्वीकरण से कितने वर्ग को लाभ हुआ ?
उत्तर-इससे उपभोक्तओं को लाभ हुआ क्योंकि अब उनके पास पहले से कहीं अधिक विकल्प आ गए। अब वे अच्छी चीजें सस्ते दाम से खरीद सकते थे।